नीम करोली बाबा |The Divine Presence of Great Neem Karoli Baba | 2
नीम करोली बाबा – Neem Karoli Baba
नीम करोली बाबा – Neem Karoli Baba-
भारत भूमि यहा प्राचीन काल से संतो की भूमि रही है। समय-समय पर यहां कई ऋषि- मुनि ,संत- महात्माओं काप्रादुर्भाव हुआ है । संत महात्माओं ने अपने योग, भक्ति ,ज्ञान,त्याग द्वारा समाज का उत्थान करने में और सनातन परंपरा को लाभ पहुंचाने में महत्वपूर्ण कार्य किया है।
इसी कड़ी में आज हम आपको भारत के महान संत श्री नीम करोली बाबा का संक्षिप्त परिचय देने की कोशिश कर रहे हैं। नीम करोली बाबा अत्यंत पूजनीय संत और भगवान हनुमान के बहुत बड़े भक्त थे।
नीम करोली बाबा जी का जन्म
नीम करोली बाबा जी का जन्म सन 1900 में उत्तर प्रदेश की (आगरा जनपद ) ,आज के फिरोजाबाद जिले के एक छोटे से ग्राम अकबरपुर में एक धनी ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
नीम करोली बाबा जी का जन्म का नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा ,उनके पिताजी का नाम श्री दुर्गा प्रसाद जी शर्मा था तथा माताजी का नाम कौशल्या देवी था। उस समय छोटी उम्र में ही विवाह करने का रिवाज था , बाबा जी का भी विवाह केवल 11 वर्ष की उम्र में हो गया था। पत्नी का नाम – रामबेटी था । बाबाजी का मन घर गृहस्ती में नहीं लगता था अतः उन्होंने घर बार छोड़कर साधु बनने का फैसला किया।
किंतु अपने परिवार के सदस्य द्वारा अनुरोध करने पर बाबा जी ने एक व्यवस्थित वैवाहिक जीवन जीने के लिए पुनः घर लौट आए । कालांतर में वह दो बेटे एवं एक बेटी के पिता बने।
नीम करोली बाबा का मन घर गृहस्ती में नहीं लगता था, इसलिए एक बार पुनः उन्होंने साल 1958 में अपना घर छोड़ दिया । उन्होंने भारत में कई स्थानों का भ्रमण किया और विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से जाने जाते थे। गंजम में मां तारा तारिणी शक्ति पीठ की यात्रा के दौरान स्थानीय लोगों ने उन्हें हनुमानजी, चमत्कारी बाबा के नाम से संबोधित किया करते थे।
इसके बाद वह पूरे उत्तरी भारत में घूमते रहे। अलग-अलग स्थानों पर कुछ समय रहने के कारण बाबा को अनेकों नाम से जाना गया। जिसमें से कुछ प्रसिद्ध नाम लक्ष्मण दास, हांडी वाले बाबा ,तिकोनिया वाला बाबा , नीम करोली बाबा, महाराज इत्यादि प्रसिद्ध है।
बाबाजी अक्सर कंबल पहना करते थे, इसलिए उन्हें कंबल वाले बाबा के नाम से भी जाना जाता है। बाबा जी ने अपना अधिकतर समय नीम करोली गांव में व्यतीत किया था और बाबा जी कारण ही उस छोटे से गांव में रेलवे स्टेशन भी बना। इसलिए बाबाजी नीम करोली नाम से अत्यधिक प्रसिद्ध हुए।
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तप साधना
घर छोड़ने के बाद नीम करोली बाबा ने गुजरात के मोरबी के भवनिया गांव में तब साधना की, इसलिए उस गांव के आसपास के लोग उन्हें तलैया बाबा के नाम से जानते थे। वृंदावन और आसपास के निवासी उन्हें चमत्कारी बाबा के नाम से संबोधित करते थे।
ऐसी मान्यता है कि जब नीम करोली बाबा की उम्र 17 साल की थी तब से ही उन्हें आत्मज्ञान हो गया था। इस छोटी सी उम्र से ही बाबा ने अनेक चमत्कार दिखाने शुरू कर दिए। बाबा जी को आठ प्रकार की सिद्धियां प्राप्त थी। नीम करोली बाबा बहुत ही कम बोलते थे लेकिन लेकिन उनके भक्त उनकी सांकेतिक भाषा को भी समझ लेते थे।
बाबा नीम करोली हनुमान जी के परम भक्त थे। अपने जीवन काल में बाबा जी ने अलग अलग स्थानों पर करीब करीब 200 हनुमान जी के मंदिरों का निर्माण कराया।
ईश्वर को पाने में आसक्ति और अहंकार सबसे बड़ी बाधा हैं, बाबा ने कहा, “जब तक भौतिक शरीर में आसक्ति और अहंकार है तब तक एक विद्वान और मूर्ख एक समान हैं।
प्रमुख आश्रम
नीम करोली बाबा के प्रसिद्ध आश्रमों में एक आश्रम उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित है ,इसका नाम कैंची धाम है। यह मंदिर नैनीताल से लगभग 18 किलोमीटर की अंतर पर है नैनीताल- अल्मोड़ा मार्ग पर स्थित है। इस मंदिर की स्थापना स्वयं नीम करोली बाबा ने 15 जून सन 1964 को की थी । वैसे तो बाबा नीम करोली 1961 से ही यहां वास करते थे , बाद में स्थानीय निवासियों और अपने भक्तों के अनुरोध पर बाबा ने वहां आश्रम और मंदिर बनवाया।
सन 1962 में कैंची धाम आश्रम में बाबा ने आध्यात्मिक गुरु साधु सोमवारी महाराज के यज्ञ के लिए मंदिर के चारों ओर चबूतरा बनवाया था।
कालांतर में बाबा नीम करोली ने एक आश्रम वृंदावन में भी बनाया और अपना अंतिम समय भी वही व्यतीत किया। यह आश्रम भी काफी प्रसिद्ध है।
बाबाजी के कुछ प्रसिद्ध शिष्य
वैसे तो बाबाजी के सैकड़ों शिष्य है, लेकिन उनमें से कुछ शिष्य विदेशी थे और काफी प्रसिद्ध भी हुए। उन के नाम स्टीव जॉब्स , मार्क जुकरबर्ग , लैरी पेज , जेफरी स्कोल , डैन कॉटके , जूलिया रॉबर्ट्स है। नीम करोली बाबा के उल्लेखनीय शिष्यों में आध्यात्मिक शिक्षक रामदास , गायक और आध्यात्मिक शिक्षक भगवान दास, लेखक और ध्यान शिक्षक लामा सूर्य दास शामिल हैं ।
नीम करोली बाबा जी के चमत्कार
- एक समय की बात है कैची धाम आश्रम में भंडारा शुरू था । सैकड़ों की संख्या में लोग प्रसाद पाने के लिए आने लगे। लेकिन भक्तों की संख्या अनुमान से ज्यादा होने के कारण घी कमी होने लगी ।बाबा नीम करौली के शिष्यों ने यह बात जब बाबा जी को बताई, तो बाबा जी ने अपने भक्तों से कहा कि चिंता मत करो।
सामने ही मां गंगा नदी से 2 कनस्तर जल भरकर ले आओ और कढ़ाई में डाल दो। भक्तों ने वैसा ही किया, बाबा के चमत्कार से कढ़ाई में डाला हुआ गंगाजल देसी घी में बदल गया और उसी घी से भंडारे की पुरिया बनने लगी । यह देखकर सभी लोग हैरान हो गए । दूसरे दिन बाबाजी के कहने पर दो कनस्तर देसी घी बाजार से मंगवा कर मां गंगा नदी के नदी में प्रवाहित कर दिया गया।
हर साल 15 जून को कैंची धाम में बड़े स्तर पर भंडारे का आयोजन होता है।
- एक बार नीम करोली बाबा रेल से सफर कर रहे थे। बाबा के पास रेलवे टिकट नहीं था। इसलिए टिकट चेकर ने अगले स्टेशन पर, जो आज का नीम करोली स्टेशन है रेल से उतार दिया। नीम करोली बाबा थोड़ी दूर जाकर अपना चिमटा धरती में लगा कर बैठ गए । जब रेलवे गार्ड ने ट्रेन चलाने का आर्डर दिया, हरी झंडी दिखाई ,परंतु ट्रेन अपनी जगह से टस से मस भी नहीं हुई।
बहुत प्रयास करने पर भी जब ट्रेन नहीं चली तो वहां के किसी ने जो कि बाबा को जानते थे, ने रेलवे टिकट चेकर से माफी मांगने को कहा और उन्हें सम्मान पूर्वक ट्रेन में बैठाने को कहा। चेकर ने बाबा जी को सम्मान पूर्वक ट्रेन में बिठाया और उसके बाद ही रेल अपने गंतव्य की ओर चल पड़ी। तभी से बाबा का नाम नीम करौली पड़ गया।
नीम करोली बाबा का स्वर्गवास 11 सितंबर सन 1973 को वृंदावन में दोपहर करीब 1:00 बजे हुआ था।
नीम करोली बाबा का जन्म स्थान बताओ।
नीम करोली बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर नामक ग्राम में 1900 हुआ था।
नीम करोली बाबा का स्वर्गवास कितने वर्ष की उम्र में हुआ था?
नीम करोली बाबा का स्वर्गवास 73 वर्ष की उम्र में हुआ था।
कैंची धाम कहां स्थित है?
कैंची धाम नैनीताल अल्मोड़ा मार्ग पर लगभग नैनीताल से 18 किलोमीटर दूर स्थित है।