Thursday, September 19, 2024
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पौरुष शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा – An ancient treatment -2023

आज हम पौरुष शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा के विषय में चर्चा करते  है।

आदमी हमेशा से बेहतर से बेहतर की खोज की ओर रहता है। वह अपने जीवन में अच्छी से अच्छा करने की कोशिश में लगा रहता है। मनुष्य की यह आदत रही है कि वह स्वयं को सबसे आगे रखें।
और जहां तक वैवाहिक जीवन की बात है तो प्रत्येक पुरुष के मन में यह चाह बनी रहती है कि वह अपने पौरुष शक्ति को अधिक से अधिक कैसे बढ़ाएं। आज हम पौरुष शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा पर चर्चा करते हैं ।

पौरुष शक्ति में कमजोरी के कारण
शोध में यह पाया गया है कि मनुष्य के पुरुष शक्ति में कमी का महसूस होना यह शारीरिक से ज्यादा एक मानसिक समस्या है।

पौरुष शक्ति

पौरुष शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा-

पौरुष शक्ति को बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन इससे पहले यह महत्वपूर्ण है कि आप किसी विशेष चिकित्सक की सलाह लें और सही तरीके से इन दवाओं का उपयोग करें। नीचे कुछ आयुर्वेदिक दवाएं दी गई हैं जो पौरुष शक्ति को बढ़ाने में मदद कर सकती हैं। ऐसी जड़ी बूटियों का सेवन करें जो यौनशक्ति वर्धक हों और शारीरिक क्षमता बढ़ाती हों।

  • अश्वगंधा: अश्वगंधा पौरुष शक्ति को बढ़ाने के लिए जानी जाती है। यह स्त्री और पुरुष दोनों के लिए उपयोगी होता है और यौन दुर्बलता को कम करने में मदद कर सकता है।
  • शिलाजीत: शिलाजीत भी पौरुष शक्ति को बढ़ाने के लिए प्रसिद्ध है। इसे स्वास्थ्य और यौन शक्ति को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • कौंच बीज: कौंच बीज में विटामिन्स, मिनरल्स, और प्रोटीन्स होते हैं जो पौरुष शक्ति को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
  • गोखरू: गोखरू का सेवन पुरुषों के यौन स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकता है और शीघ्र पतन को रोकने में मदद कर सकता है।
  • अकरकरा: अकरकरा यौन दुर्बलता को कम करने के लिए उपयोगी हो सकता है और पौरुष शक्ति को बढ़ाने में मदद कर सकता है।

सभी जड़ी बूटी का उपयोग आम आदमी सही प्रमाण नहीं कर सकता और यह सारी जड़ी बूटी सभी जगह आसानी से नहीं मिलती है, इसलिए हम आपके लिए एक विशेष उत्पादन बता रहे हैं

पौरुष शक्ति

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  • वृष्य आहार: आयुर्वेद में वृष्य आहार के सेवन का महत्व माना जाता है, जैसे कि घी, मक्खन, दूध, और खजूर। ये आहार पौरुष शक्ति को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
  • सफेद मूसली : सफेद मूसली आयुर्वेद में सबसे महत्वपूर्ण जड़ी बूटियां में से एक है । इसके सेवन से पौरुष शक्ति बढ़ाने में काफी मदद मिलती है । भारत में इसे हर्बल वियाग्रा के नाम से भी जाना जाता है ।
  • सफेद मूसली का उपयोग आयुर्वेद के अलावा होम्योपैथी में यूनानी इत्यादि चिकित्सा पद्धति में काफी पहले से होता आ रहा है। सफेद मूसली के उपयोग से वात पित्त और कफ जैसे दोष में संतुलित बनाए रखने में मदद मिलती है।
  • त्रिफला : त्रिफला,आयुर्वेदिक औषधि का एक महत्वपूर्ण और प्राचीन मिश्रण है, जिसमें आमला, बहेड़ा और हरड़ तीनों जड़ी-बूटियां शामिल हैं। इसे “त्रिफला” के नाम से जाना जाता है, जिसका मतलब होता है “तीन फल”। त्रिफला का उपयोग पाचन को सुधारने, वजन कम करने, और कब्ज को दूर करने के लिए किया जाता है।
  • यह औषधि पुरुषों के पौरुष शक्ति को बढ़ाने में भी मदद कर सकती है, लेकिन इसका अधिक सेक्स सम्बंधित समस्याओं का इलाज के रूप में नहीं माना जाता है।
  • त्रिफला का इस्तेमाल आमतौर पर चूर्ण के रूप में किया जाता है, और यह पाचन तंत्र को सुधारने के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसके प्रमुख घटक – आमला, बहेड़ा, और हरड़ – पाचन को स्थिर करते हैं, जिससे अपच, कब्ज, और गैस की समस्याओं को कम किया जा सकता है।
  • त्रिफला का उपयोग सेक्स सम्बंधित समस्याओं को दूर करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन यदि किसीको पौरुष शक्ति से जुड़ी समस्याएं हैं, तो उन्हें एक विशेषज्ञ चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
  • ध्यान देने योग्य बात है कि हर किसी के शारीरिक स्वास्थ्य और प्रकृति अलग होती है, इसलिए त्रिफला या किसी भी आयुर्वेदिक औषधि का सेवन करने से पहले एक चिकित्सक की सलाह लेना सर्वोत्तम होता है।

यदि आप पौरुष शक्ति को बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग करना चाहते हैं, तो आपको एक विशेषज्ञ आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए और उनके मार्गदर्शन के अनुसार ही इन दवाओं का सेवन करना चाहिए। यदि आप किसी भी दवा का अतिरिक्त सेवन करते हैं, तो यह आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा सकता है।

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हम सभी जानते हैं कि विश्व में चिकित्सा करने के मुख्त तीन प्रकार है, जिसे हम एलोपैथिक, होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक चिकित्सा के नाम से जानते हैं।

एलोपैथिक चिकित्सा

  • एलोपैथिक चिकित्सा का आविष्कार आज से लगभग 70 से 80 वर्ष पूर्व ही हुआ था । इस चिकित्सा प्रणाली में रोग का अस्थाई निवारण ही हो सकता है। इस प्रणाली से चिकित्सा करने पर हमारे शरीर में इसकी दवा के और भी कई प्रकार के छोट- बड़े परिणाम होने की संभावना बनी रहती है। इसलिए आजकल विश्व भर में इस चिकित्सा का उपयोग अति आवश्यक होने पर ही करें, ऐसी सोच बन गई है।

होम्योपैथिक चिकित्सा प्रणाली


एलोपैथिक चिकित्सा से पुरानी चिकित्सा पद्धति होम्योपैथिक मानी जाती है । इस चिकित्सा पद्धति से हमारे शरीर पर कोई अतिरिक्त असर तो नहीं ता है लेकिन इस चिकित्सा में समय अधिक लग जाता है इसलिए इस चिकित्सा प्रणाली का उपयोग भी बहुत तेरे लोग करने में हिचकीते हैं।तो अब सिर्फ एक ही चिकित्सा प्रणाली रह गई है , वह है आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाल

आयुर्वेद क्या है?

आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली लगभग 5000 वर्ष पुरानी है । यह भारत देश में भारतीय सभ्यता के साथ एक महत्वपूर्ण अंग के रूप में जुड़ी है विशुद्ध रूप से आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली वैज्ञानिक प्रणाली का एक हिस्सा है ।

इस चिकित्सा प्रणाली द्वारा सबसे पहले रोगी की मन स्थिति, उसके रोग की विषय में पूर्ण जानकारी,, रोग की प्रकृति को समझना और रोग को पूर्ण रूप से समाप्त करना ,इस पर महत्व दिया जाता है और जितने जल्दी रोगी को दर्द से राहत मिले उसे पर विचार किया जाता है।

आयुर्वेद में पंचकर्म

आयुर्वेद में पंचकर्म एक महत्वपूर्ण और प्रमुख चिकित्सा प्रणाली है, जिसका उद्देश्य शरीरिक और मानसिक शुद्धि, संतुलन और स्वस्थता को बनाए रखना है। पंचकर्म में पांच प्रमुख क्रियाएं शामिल होती हैं:

  • वमन (एमेसिस): इसमें उपयोगी रस विकसित किया जाता है जो जीर्ण दोषों को शारीरिक और मानसिक स्तर पर निकालने में मदद करता है।
  • विरेचन (पुर्गेटिव थेरेपी): इसमें पुर्गेटिव औषधियों का उपयोग करके आमाशय और अपचन को शुद्ध किया जाता है।
  • बस्ती (एनीमा और उपमान): इसमें तेल और दवाओं का उपयोग करके अनुसंधान किया जाता है, जिससे शरीरिक और मानसिक स्तर पर शुद्धि होती है।
  • रक्तमोक्षण (शुद्धिकरण): इसमें रक्त को शरीर से निकालने के लिए विशेष तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जो शारीरिक संतुलन को सुधारता है।
  • मौखिक प्रशासन: इसमें विभिन्न घृत, तेल, और औषधियों का मौखिक सेवन किया जाता है, जो स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकते हैं।

आयुर्वेदिक औषधियों में जीरा, इलायची, सौंफ और अदरक जैसे घरेलू उपचार भी अच्छे प्रमुख रूप से उपयोग किए जाते हैं,विशेष तौर से अपच को ठीक करने के लिए। ये आयुर्वेदिक उपचार शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने, शरीर के अंदर के विषाक्त पदार्थों को समाप्त करने, और रोगों के इलाज में मदद कर सकते हैं।

कृपया ध्यान दें कि आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के बिना किसी भी आयुर्वेदिक उपचार का आवश्यक सलाहन नहीं करना चाहिए, क्योंकि हर व्यक्ति का शारीरिक प्रकृति और स्वास्थ्य अलग होता है।

आयुर्वेद की जनक कौन थे ?

आचार्य चरक को आयुर्वेद के जन्मदाता के रूप में माना जाता है । उन्होंने भारतीय चिकित्सा प्रणाली के प्रमुख ग्रंथ चरक संहिता का निर्माण किया था, और इस ग्रंथ द्वारा उन्होंने आयुर्वेद के महत्वपूर्ण को समझने का प्रयत्न किया । इस ग्रंथ में आचार्य चरक ने मनुष्य के शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के विषय में विस्तार से बताया है ।

आचार्य चरक को आयुर्वेद के पितामह के रूप में जाना जाता है।

आयुर्वेद कितना वर्ष पुराना है ?

भारतीय चिकित्सा शास्त्र में आयुर्वेद को लगभग 5000 वर्ष पहले से उपयोग में लाया जाता है । आयुर्वेद संस्कृत शब्द आयु और वेद का मिश्रण है आयु से अर्थ होता है उम्र और वेद का अर्थ होता है उसके विषय में अधिक अधिक जानकारी।


आयुर्वेद की रचना भारतीय महर्षि धन्वंतरि द्वारा की गई है जीने जिनके कालखंड को कहीं कहीं पर 1500 इस वर्ष पूर्व के आसपास का बताया गया है । आयुर्वेद विज्ञान की अतुलनीय धरोहर है और वैज्ञानिक साहित्य का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है।

आयुर्वेदिक दवा का हमारे शरीर पर असर क्या होता है ?

  • आयुर्वेद हमारे स्वास्थ्य प्रणाली में प्राकृतिक तत्वों को संतुलन बनाएं रखने का काम करती है ,जिससे हमारे स्वास्थ्य को मजबूत करने में मदद मिलती है । आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली द्वारा शरीर के तीनों दोष वाद,पित्त और कफ का आपस में सामंजस्य बनाए रखने में मदद मिलती है और इसके द्वारा ही रोगों के रोगों के कारण को दूर किया जा सकता है।
  • आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में जड़ी बूटियां, पौधों, प्राकृतिक समग्र की सामग्रियों का एक विशेष अनुपात में मिश्रण कर उसका उपयोग किया जाता है जो शरीर को सुडौल बनाए रखने में मन को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं ।
  • आयुर्वेदिक चीज चिकित्सा प्रणाली का एक विशेष महत्व यह भी है कि इसमें शरीर इसके सेवन से शरीर में किसी भी प्रकार के साइड इफेक्ट्स नहीं होते और हमारे शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण मदद मिल सकती है ।

आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली द्वारा रोग को जड़ से ही नष्ट कर दिया जाता है।

आयुर्वेद के लाभ एवं हानी

  • आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली द्वारा हमारे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य में संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। रोग को संपूर्ण रूप से नष्ट कर दिया जाता है
  • आयुर्वेदिक दवाई के सेवन से किसी भी प्रकार के साइड इफेक्ट नहीं होते और शरीर दीर्घकाल तक स्वस्थ रहता है।
  • आयुर्वेदिक इलाज से तनाव मेसे बचने मेंमदद मिलती है।
  • आयुर्वेद दवा का सही रूप में उपयोग नहीं किया गया- कहना का मतलब यह है कि जब यह दवाई अत्यधिक मात्रा में ली जाती है या बिना किसी चिकित्सा के सवाल द्वारा सेवन किया जाता है, तो इसका हमारे शरीर पर गलत असर भी हो सकता है । इसलिए यह हमेशा आयुर्वेद दावों का सेवन हमेशा विशेषज्ञ चिकित्सा की सलाह से ही करना चाहिए।

Additional Precaution:-

यदि आप पौरुष शक्ति को बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग करना चाहते हैं, तो आपको एक विशेषज्ञ आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए और उनके मार्गदर्शन के अनुसार ही इन दवाओं का सेवन करना चाहिए।

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