बिहान योजना की प्रेरक कहानी: छाता निर्माण से संवर रही ज़िंदगी – 2025
बिहान योजना – भैंसबोड़ क्लस्टर की 800 महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर
छत्तीसगढ़ की धूप में तपती ज़िंदगी में उम्मीद का छाता
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के ग्रामीण अंचल में, जहां पहले महिलाओं के लिए रोजगार और आत्मनिर्भरता सिर्फ एक सपना हुआ करती थी, वहीं अब “बिहान योजना” की बदौलत वो सपना हकीकत में बदल रहा है।

भैंसबोड़ क्लस्टर की 34 ग्राम पंचायतों की 800 से अधिक महिलाएं आज छाता निर्माण जैसे अनोखे और व्यावसायिक कार्य से जुड़कर प्रतिमाह 8 से 9 हजार रुपये की आय अर्जित कर रही हैं।
यह बदलाव सिर्फ आर्थिक नहीं है, बल्कि सामाजिक सोच और महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बन चुका है।
💪 बिहान योजना क्या है? | What is Bihan Yojana?
बिहान योजना छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (CGSRLM) का हिस्सा है, जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनाना है।
इस योजना के तहत महिलाओं को स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups) के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाता है ताकि वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें और आय आधारित गतिविधियों में हिस्सा लें।
MP Ladli Behna Yojana 24th Installment Date: ₹1250 Payment Likely on 10 June 2025
👩🔧 छाता निर्माण: आम चीज़ से असाधारण सफलता तक का सफर
छाता – जो आमतौर पर बारिश या धूप से बचाव का साधन होता है – अब भैंसबोड़ क्लस्टर की महिलाओं के लिए बिहान योजना की बदौलत रोज़गार और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुका है।
- महिलाओं को विशेष प्रशिक्षण दिया गया
- मशीनों और कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित की गई
- गुणवत्तापूर्ण उत्पाद तैयार करने पर ज़ोर दिया गया
- स्थानीय बाजारों और सरकारी एजेंसियों से जोड़ा गया
📈 रोज़गार और आय का सशक्त स्रोत | Income Empowerment for Women
प्रत्येक महिला प्रतिमाह ₹8,000 से ₹9,000 तक कमा रही है। यह राशि उन परिवारों के लिए बहुत बड़ी राहत है जहां पहले केवल खेती या दैनिक मजदूरी ही एकमात्र विकल्प था।
महिलाओं ने बताया कि—
“पहले हम घर से बाहर भी नहीं निकलते थे, अब छाते बना रही हैं, बेच रही हैं, और घर भी चला रही हैं।”
🧵 प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग से मिली उड़ान
छाता निर्माण कार्य में सफलता का राज है – उचित प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग। बिहान योजना के तहत:
- महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, डिजाइनिंग और असेंबली का प्रशिक्षण दिया गया।
- मशीनरी और उत्पादन तकनीक का ज्ञान मिला।
- उत्पाद की गुणवत्ता में निरंतर सुधार हुआ।
🌍 सामाजिक बदलाव की नई इबारत | Social Transformation Through Women Empowerment
इस पहल से न केवल आर्थिक विकास हुआ है, बल्कि समाज में महिलाओं की स्थिति में भी बड़ा बदलाव आया है:
- महिलाएं अब निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल हैं।
- उनमें आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता का विकास हुआ है।
- वे दूसरों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं।
🧩 छाता निर्माण: पूरी प्रक्रिया एक नज़र में
- कच्चा माल प्राप्त करना – कपड़ा, हैंडल, वायर फ्रेम आदि।
- कटिंग और सिलाई – कपड़े को मशीन से विशेष माप के अनुसार काटा जाता है।
- असेंबली और जोड़ों का निर्माण – कपड़े को फ्रेम में लगाया जाता है।
- फाइनल टच और क्वालिटी चेक – अंतिम जांच और पैकिंग से पहले निरीक्षण।
- ब्रांडिंग और मार्केटिंग – बिहान योजना के नाम से टैगिंग व ब्रांडिंग।
📦 बाजार और बिक्री की रणनीति
- छाते स्थानीय बाज़ार में ₹180-₹250 प्रति यूनिट तक बेचे जा रहे हैं।
- सरकारी स्कूलों, पंचायत भवनों, और मनरेगा कर्मचारियों को भी छाते सप्लाई किए जा रहे हैं।
- राज्य स्तरीय “ग्राम आजीविका मेलों” में भी बिक्री के स्टॉल लगाए जाते हैं।
📊 आंकड़ों में सफलता
- अब तक भैंसबोड़ क्लस्टर में 10,000+ छाते तैयार किए जा चुके हैं।
- लगभग ₹70-80 लाख रुपये की वार्षिक आय इन समूहों को हो रही है।
- महिलाओं ने मिलकर स्वयं की क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी भी बनाई है।
🧕 सफलता की प्रेरक कहानी
सीता बाई, जो कभी मजदूरी करती थीं, अब स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष हैं और हर महीने ₹9,000 से अधिक की आय कर रही हैं। उन्होंने दो अन्य महिलाओं को प्रशिक्षित कर “मिनी टीम” भी बनाई है।
🌱 पर्यावरण के प्रति जागरूक पहल
- महिलाएं अब इको-फ्रेंडली और रीसायकल मटेरियल से छाता बनाने की योजना पर काम कर रही हैं।
- यह पहल आने वाले समय में ग्रीन व्यवसाय मॉडल के तौर पर विकसित हो सकती है।
🛍️ भविष्य की योजना: राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाज़ार की ओर बढ़ते कदम
बिहान योजना का अगला लक्ष्य है:
- छाता निर्माण को ब्रांडिंग के साथ जोड़ना
- ऑनलाइन मार्केटप्लेस (Amazon, Flipkart) में उत्पाद बेचना
- सरकारी स्कूलों और संस्थानों को सप्लाई देना
- महिला समूहों को सहकारी मॉडल में संगठित करना
✅ निष्कर्ष: छत्तीसगढ़ की महिलाएं बन रही हैं बदलाव की मिसाल
बिलासपुर के भैंसबोड़ क्लस्टर की महिलाएं यह साबित कर रही हैं कि यदि संकल्प और सरकारी सहयोग मिल जाए, तो कोई भी महिला अपने जीवन की दिशा बदल सकती है। छाता निर्माण सिर्फ एक रोजगार नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की छतरी है, जिसके नीचे महिलाएं सुरक्षा, सम्मान और स्वाभिमान पा रही हैं।