Guru Purnima 2025:जब पूर्ण चंद्रमा बनता है श्रद्धा का साक्षी और आत्मा का दर्पण
Guru Purnima 2025
क्या आपने कभी रात के शांत चंद्रमा को देखा है? वह जो पूर्णिमा की रात आकाश में सबसे ज्यादा चमकता है — ठीक उसी दिन आता है गुरु पूर्णिमा, जब आत्मा अपने मार्गदर्शक के चरणों में झुकती है। यह सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि हमारे भारतीय अध्यात्म की रग-रग में बहती गुरु-शिष्य परंपरा का महापर्व है। और इस साल, Guru Purnima 2025 10 जुलाई, गुरुवार को पड़ रही है।

यह दिन उतना ही पवित्र है जितना एक जीवन का मार्गदर्शन पाने का पहला क्षण। इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि
यही दिन महर्षि वेदव्यास जी की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है — जिनके कारण हमें वेद, महाभारत और पुराणों जैसे ज्ञान के भंडार प्राप्त हुए।
📅 कब है गुरु पूर्णिमा 2025? जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त
आषाढ़ मास की पूर्णिमा को पड़ने वाली गुरु पूर्णिमा की तिथि इस वर्ष 10 जुलाई 2025 को रात 01:37 बजे प्रारंभ होकर, 11 जुलाई को रात 02:07 बजे तक रहेगी। इस पर्व के पूजन का सबसे शुभ समय 10 जुलाई की सुबह 9:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक माना गया है।
इस समय गुरु पूजन, मंत्र जाप, ध्यान और आशीर्वाद प्राप्ति की प्रक्रिया अत्यंत फलदायक होती है। यह मुहूर्त विद्यार्थियों, साधकों, और हर उस इंसान के लिए श्रेष्ठ है जो अपने जीवन में स्थायित्व और दिशा चाहता है।
🙏 गुरु का अर्थ केवल शिक्षक नहीं, जीवनदाता है
भारतीय संस्कृति में गुरु केवल पढ़ाने वाला नहीं होता — वह वो होता है जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए। ‘गु’ का अर्थ है अंधकार और ‘रु’ का अर्थ है प्रकाश। इस तरह गुरु वह है जो अज्ञान के अंधेरे को ज्ञान की रोशनी से मिटा दे।
गुरु पूर्णिमा 2025 के दिन यही भाव जीवित हो उठते हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि जीवन के हर मोड़ पर एक गुरु की आवश्यकता होती है — चाहे वह हमारे माता-पिता हों, अध्यापक हों, आध्यात्मिक मार्गदर्शक हों या स्वयं अनुभव।
🕯️ गुरु पूजन विधि: कैसे करें पूजन इस शुभ दिन
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें। अब गुरु की तस्वीर या प्रतिमा को पीले वस्त्र पर स्थापित करें। उन्हें पुष्प, धूप, दीप, चंदन और मिठाई अर्पित करें।
इसके बाद ‘ॐ गुरवे नमः’ अथवा ‘गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः’ जैसे मंत्रों का जाप करें।
यदि आपके जीवन में कोई सजीव गुरु हैं, तो उनके चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद अवश्य लें।
आज के डिजिटल युग में भी, अगर गुरु की भौतिक उपस्थिति न हो तो ऑनलाइन माध्यम से या अपने हृदय से उन्हें स्मरण करना भी उतना ही प्रभावी है।
📜 पौराणिक दृष्टि: वेदव्यास और बुद्ध से जुड़ी पवित्र कथाएं
इस दिन को वेदव्यास जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। महर्षि वेदव्यास जी ने न केवल वेदों का संकलन किया, बल्कि महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना भी की। उन्हें आदिगुरु की संज्ञा दी जाती है।
इसी दिन भगवान बुद्ध ने भी सारनाथ में अपने पांच शिष्यों को पहला उपदेश दिया था — जिसे धम्मचक्कपवत्तन कहते हैं। इसलिए बौद्ध परंपरा में भी यह दिन अत्यंत पूजनीय माना गया है।
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🍽️ क्या न करें इस दिन — भोजन से आचरण तक
इस दिन मांसाहार, प्याज, लहसुन जैसे तामसिक पदार्थों का त्याग करना चाहिए। सात्विक भोजन का सेवन करें। साथ ही, क्रोध, निंदा, झूठ और छल से दूर रहें। बाल और नाखून काटना भी इस दिन अशुभ माना गया है।
गुरु पूर्णिमा पर संयम और शुद्धता ही सबसे बड़ा व्रत है — बाहर से नहीं, भीतर से भी।
💡 आधुनिक युग में गुरु कौन हो सकता है?
आपका जीवन अनुभव, एक किताब, एक विचार, एक विफलता — ये सब आपके गुरु बन सकते हैं। गुरु सिर्फ गेरुए वस्त्रों में नहीं होते — वे आपके भीतर भी होते हैं।
गुरु पूर्णिमा हमें सिखाती है कि हर इंसान को आत्ममंथन करना चाहिए — और उस मार्ग को अपनाना चाहिए जो उसे भीतर की गहराई तक ले जाए।
🧘 गुरु पूर्णिमा का योग और ध्यान से संबंध
इस दिन ध्यान करना विशेष फलदायक माना गया है। अगर आप ध्यान साधना करते हैं, तो गुरु पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की ऊर्जा के साथ गहरे ध्यान में उतरना आपकी चेतना को एक नए स्तर तक ले जा सकता है।
कुछ योग गुरुओं के अनुसार यह दिन ‘दिव्य ट्रांसमिशन’ का दिन होता है — जब गुरु अपनी चेतना शिष्यों में प्रवाहित कर सकता है।
✨ निष्कर्ष: यह दिन सिर्फ उत्सव नहीं, आत्मिक यात्रा की शुरुआत है
गुरु पूर्णिमा 2025 एक याद दिलाने वाला पर्व है — कि जीवन में सही दिशा पाने के लिए एक गुरु आवश्यक है। चाहे वह गुरु कोई व्यक्ति हो या स्वयं ईश्वर, इस दिन उनके चरणों में झुकना केवल परंपरा नहीं — आत्मा की आवश्यकता है।
तो इस 10 जुलाई 2025, जब चंद्रमा पूर्ण हो — अपने भीतर झाँकिए, अपने गुरु को पहचानिए और श्रद्धा के दीप से आत्मा को प्रकाशित कीजिए।
इस 10 जुलाई, गुरु पूर्णिमा के इस आध्यात्मिक अवसर पर केवल पूजा न करें — एक संकल्प लें कि आप अपने भीतर के अंधकार को गुरु के ज्ञान से आलोकित करेंगे।
⚠️ अस्वीकरण (Disclaimer):
यह लेख विभिन्न धर्मग्रंथों, पंचांगों, और आध्यात्मिक स्रोतों के अध्ययन के आधार पर तैयार किया गया है। पूजा-विधि, मुहूर्त, व्रत-नियम तथा रीति-रिवाज क्षेत्र विशेष, परिवार परंपरा अथवा व्यक्तिगत मान्यता के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं।
इसलिए किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या निर्णय से पहले अपने स्थानीय पंडित, गुरु या ज्योतिषाचार्य की सलाह अवश्य लें। लेखक या प्लेटफ़ॉर्म किसी प्रकार की धार्मिक या ज्योतिषीय दावे की गारंटी नहीं करता।