Thursday, September 19, 2024
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Anant Chaturdashi तिथि, अनुष्ठान और महत्त्व-2024

Anant Chaturdashi अनंत चतुर्दशी

🔸 Anant Chaturdashi अनंत चतुर्दशी की पूजा और महत्व

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को Anant Chaturdashi अनंत चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन अनंत भगवान, जोकि भगवान विष्णु का ही एक रूप माने जाते हैं, की पूजा की जाती है और बाजू पर अनंत सूत्र बांधा जाता है। यह अनंत सूत्र कपास या रेशम से बनाया जाता है, जिसमें चौदह गांठें होती हैं, जो इसके पवित्र होने का प्रतीक हैं।

Anant Chaturdashi

अनंत चतुर्दशी के दिन का महत्त्व और बढ़ जाता है क्योंकि इसी दिन श्री गणेश विसर्जन भी किया जाता है। भारत के कई राज्यों में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें धार्मिक झांकियों का आयोजन भी किया जाता है।

🔸 Anant Chaturdashi अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि

अग्नि पुराण में अनंत चतुर्दशी व्रत के महत्व का वर्णन मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। पूजा विधि इस प्रकार है:

  • प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें और पूजा स्थल पर कलश की स्थापना करें।
  • कलश पर अष्टदल कमल की आकृति के बर्तन में कुश से निर्मित अनंत की स्थापना करें, या भगवान विष्णु की तस्वीर भी स्थापित कर सकते हैं।
  • एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र तैयार करें, जिसमें चौदह गांठें होनी चाहिएं। इसे भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने रखें।
  • भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजा करें। पूजा के दौरान निम्न मंत्र का जाप करें:
  • “अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव। अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।”
  • पूजा के बाद पुरुष दाएं हाथ में और महिलाएं बाएं हाथ में अनंत सूत्र बांधें। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और प्रसाद ग्रहण करें।

🔸 Anant Chaturdashi अनंत चतुर्दशी का महत्व

महाभारत काल से अनंत चतुर्दशी व्रत की परंपरा चली आ रही है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु ने सृष्टि के आरंभ में चौदह लोकों की रचना की थी। इन लोकों की रक्षा के लिए वे चौदह रूपों में प्रकट हुए, इसलिए उन्हें अनंत कहा जाता है। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और अनंत फल प्रदान करते हैं।

 Anant Chaturdashi

ऐसी मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की स्तुति करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके साथ ही इस दिन श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से धन-धान्य, सुख-संपत्ति और संतान की प्राप्ति होती है। कई राज्यों में यह व्रत विशेष रूप से प्रचलित है, और इस दिन भगवान विष्णु की लोक कथाएं सुनने का भी विधान है।

महाभारत की कथा के अनुसार, कौरवों द्वारा जुए में पराजित होकर पांडवों को वनवास जाना पड़ा। वनवास के दौरान पांडवों को अनेक कष्टों का सामना करना पड़ा। एक दिन भगवान श्रीकृष्ण पांडवों से मिलने आए। युधिष्ठिर ने भगवान से अपनी पीड़ा समाप्त करने और पुनः राजपाट प्राप्त करने का उपाय पूछा। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी व्रत करने और अनंत भगवान की पूजा करने की सलाह दी।

युधिष्ठिर ने भगवान से पूछा कि अनंत भगवान कौन हैं? भगवान श्रीकृष्ण ने बताया कि अनंत भगवान स्वयं भगवान विष्णु हैं, जो शेषनाग की शैय्या पर चतुर्मास में विश्राम करते हैं। भगवान विष्णु ने वामन अवतार में तीनों लोकों को माप लिया था, और इसलिए उन्हें अनंत कहा जाता है। उनके पूजन से सभी कष्टों का निवारण होता है।

युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण के निर्देशानुसार अनंत चतुर्दशी का व्रत किया, जिसके फलस्वरूप उन्हें पुनः हस्तिनापुर का राज्य प्राप्त हुआ।


अनंत चतुर्दशी तिथि:

इस साल अनंत चतुर्दशी मंगलवार, 17 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी। यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है और गणेश चतुर्थी उत्सव का समापन करता है।

पूजा मुहूर्त और समय

  • अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त: सुबह 06:12 से 11:44 बजे तक
  • चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 16 सितंबर 2024 को दोपहर 03:10 बजे
  • चतुर्दशी तिथि समाप्त: 17 सितंबर 2024 को सुबह 11:44 बजे

Anant Chaturdashi अनंत चतुर्दशी का महत्त्व

अनंत चतुर्दशी हिंदुओं और जैनों दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। हिंदुओं के लिए यह पर्व भगवान विष्णु को समर्पित है और जैन धर्म में यह भगवान वासुपूज्य के निर्वाण का दिन है। इस दिन को आध्यात्मिक और भौतिक सुख-समृद्धि प्राप्ति के लिए विशेष माना जाता है। भक्त व्रत रखते हैं, पूजा करते हैं और अनंत सूत्र नामक पवित्र धागा बांधते हैं।

इस व्रत को अनंतकालीन आशीर्वाद प्राप्त करने और सांसारिक व आध्यात्मिक इच्छाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है। 14 वर्षों तक लगातार इस व्रत का पालन करने से सर्वोत्तम फल प्राप्त होते हैं।

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गणेश विसर्जन विधि

अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन होता है, जो भगवान गणेश को विदाई देने का दिन होता है। भक्त भगवान गणेश की मूर्ति को जल में विसर्जित करके उन्हें विदा करते हैं। यह क्रिया भगवान गणेश के स्वर्गीय घर लौटने का प्रतीक है, जो अपने भक्तों की परेशानियों और बाधाओं को अपने साथ ले जाते हैं।

कैसे करें अनंत पूजा और गणेश विसर्जन?

  1. सुबह की आरती: दिन की शुरुआत भगवान गणेश की आरती से करें।
  2. भोग: भगवान गणेश को दीपक, फूल, धूप और मिठाई अर्पित करें।
  3. अनंत सूत्र: दिव्य आशीर्वाद के लिए अपनी कलाई पर पवित्र अनंत सूत्र बांधें।
  4. विसर्जन: परिवार के सदस्यों के साथ अंतिम आरती करें और फिर भगवान गणेश का विसर्जन करें।

अनंत चतुर्दशी पर उपवास का क्या महत्त्व है?

यह उपवास दीर्घकालीन आशीर्वाद और इच्छाओं की पूर्ति के लिए रखा जाता है।

अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन क्यों किया जाता है?

यह गणेश चतुर्थी के समापन का प्रतीक है, जिसमें भगवान गणेश को उनके स्वर्गीय घर वापस भेजा जाता है।

अनंत व्रत कितने समय तक रखना चाहिए?

पूर्ण लाभ पाने के लिए अनंत व्रत लगातार 14 वर्षों तक रखा जाना चाहिए।


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