Devraha Baba |A Great Yogi|संत शिरोमणि ब्रह्मर्षि देवराहा बाबा-3
Devraha Baba
Devraha Baba देवराहा बाबा– भारतदेश में कई ऐसे संत भी हुए हैं जिनके जन्म तिथि, जन्म स्थल , आयु यह सब आज तक कोई नहीं जान सका।
इन्हीं श्रेणी में परम पूज्य ब्रह्मर्षि श्री देवराहा बाबा का नाम भी आता है।
भारतीय हिंदू परंपरा में ऋषि मुनि और साधु-संतों के पूजन की और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। सिद्ध ऋषि मुनि, साधु संत अपनी योग क्रिया के द्वारा अद्भुत अद्भुत चमत्कार करते रहते हैं। सिद्धि योगीयो के तपस्या करने के भी अलग अलग तरीके है, कोई वर्षों तक एक पैर पर खड़े रहकर , कोई हिमालय की पहाड़ियों पर रह कर, कोई मौन रहकर तपस्या में लीन रहते हैं।
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देवराहा बाबा भी एक महान योगी थे।
देवराहा बाबा कहां जन्मे ? उनकी सही उम्र क्या है ? यह सब आज तक अज्ञात ही है। कहा जाता है कि देवराहा बाबा की आयु लगभग 900 वर्ष की थी , कुछ ज्ञानी जन बाबा जी की उम्र 250 साल तो कुछ 500 साल तक मानते हैं। वैसे भी कहते भीहैं कि संत महात्माओं की कोई उम्र नहीं होती, वे अपने ज्ञान भक्ति और तप के द्वारा सामान्य जन से कई अधिक ज्ञान रखते हैं।
देवरहा बाबा का प्राकट्य
लगभग 20 वी शताब्दी के प्रारंभ में देवरहा बाबा ने सरयू नदी के किनारे गांव महिल, तहसील बरहज ,जिला देवरिया में अपना एक छोटा सा मचान बनाया था, यह स्थान देवरिया जिले के चिलमा बाजारके पास था और बाबा उसी पर बैठकर तप साधना करते थे।। देवराहा बाबा का आश्रम देवरिया जिला में होने के कारण उन्हें देवराहा बाबा जाना के नाम से जाने लगा।
कहते योगी कभी किस स्थान पर ज्यादा समय नहीं ठहरते। देवराहा बाबा भी कालांतर में इस स्थान से सुदूर वृंदावन चले गए जहां उन्होंने अपना शेष समय यमुना नदी के तट पर एक मचान पर बिताया। देवरहा बाबा ने अपने जीवन समय में भारत के कई पवित्र स्थानों का, तीर्थ स्थलों का भ्रमण किया उन्हें विभिन्न विभिन्न राज्यों में अलग नामों से जाना जाता था।
देवराहा बाबा कई प्रकार की सिद्धियां अपने में समेटे थे। देवरहा बाबा जल के ऊपर चलते थे। बाबाजी घंटो गिनती जल में डुबकी लगाकर ध्यानस्थ रहते थे।
देवराहा बाबा का अत्यंत ही सरल स्वभाव, सीधा-साधा जीने का तरीका था। देवराहा बाबा के अनुयायियों का कहना है कि बाबा प्रत्येक व्यक्ति के मन की बात को बिना कहे ही जान लेते थे।
देवराहा बाबा प्रत्येक माघ मेले में प्रयागराज जाते थे।
उड़ीसा के पूर्ण श्वरी मां तारा तारिणी शक्ति पीठ में स्थानीय लोगों चमत्कारिक बाबा के नाम से जानते थे यह बात स्वयं देवरहा बाबा ने एक बार ऑल इंडिया रेडियो के साथ एक साक्षात्कार में बताई थी।
भक्तजनों का कहना है कि देवरहा बाबा ने जीवन भर कभी अन्य ग्रहण नहीं किया , उन्होंने केवल शहद फल एवं दूध ही ग्रहण किया है।
देवराहा बाबा दिगंबर योगी थे वे सिर्फ नदी में स्नान करने के लिए ही अपने मंच से नीचे आते थे।
कभी किसी ने उन्हें भोजन ग्रहण करते हुए नहीं देखा । ना ही उन्हें चलते फिरते या , किसी वाहन में बैठते हुए यात्रा करते देखा । फिर भी वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर मन की गति से प्रकट हो जाया करते थे।
देवराहा बाबा के शिष्य
देवरहा बाबा के दर्शनार्थ एवं उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गरीब से लेकर अमीर ,उद्योगपति से लेकर राजनीतिज्ञ तक लोगों का तांता लगा रहता था । महत्वपूर्ण से महत्वपूर्ण व्यक्ति भी बाबा के दर्शन पाने के लिए घंटों गिनती इंतजार करते रहते थे।
प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि जब वे बचपन में अपने पिताके साथ बाबा से मिले , तब बाबा की उम्र लगभग 150 साल थी। उस समय वे अपने पिता के साथ बाबा के दर्शन करने गए थे। राष्ट्रपति के पिता भी वर्षों से बाबा देवरहा को जानते थे। भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, कैबिनेट मंत्री बूटा सिंह इत्यादि गणमान्य व्यक्ति बाबा से आशीर्वाद लेने के लिए आते थे। देवरहा बाबा का आशीर्वाद देने का भी अपना एक अलग ही तरीका था, वह अपने भक्तों को के सर पर अपने पैर रखकर आशीर्वाद देते थे।
इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया था और सन् 1977 में जब आम चुनाव हुए थे, तो इस चुनाव में वह बुरी तरह पराजित हुई थी। बताया जाता है कि उसके बाद ही इंदिरा गांधी देवराहा बाबा का आशीर्वाद लेने उनके आश्रम में पहुंची थी । बाबा ने अपना हाथ उठा कर आशीर्वाद दिया, और बाद में वही हाथ का पंजा इंदिरा कांग्रेस के चुनाव का चिन्ह बना । 1980 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में ही कांग्रेस ने प्रचंड जीत हासिल की थी, और वह अपने भारत देश की प्रधानमंत्री बनी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक जज का भी यह कहना था कि उनका परिवार देवरहा बाबा के दर्शन कई पीढ़ियों से करता आ रहा है इस तरह बाबा की लंबी आयु की चर्चा सुनने को मिलते हैं हालांकि देवरहा बाबा ने स्वयं अपने उम्र की पुष्टि कभी नहीं की।
देवराहा बाबा के दर्शन करने के लिए पंडित मदन मोहन मालवीय, , अटल बिहारी वाजपेई , सहित विदेशों से भी गणमान्य व्यक्ति आया करते थे। सन् 1911 में जॉर्ज पंचम ने भी देवराहा बाबा का आशीर्वाद लेने उनके आश्रम पहुंचे थे।
महासमाधि
19 जून सन 1990 में देवरहा बाबा ने अपने इस भौतिक शरीर को त्याग कर सदा सदा के लिए योगिनी एकादशी के दिन महासमाधि ली थी।
ब्रह्मर्षि श्री देवरहा बाबा के चरणों में कोटि-कोटि नमन।
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देवराहा बाबा का जन्म कहां और कब हुआ था ?
देवराहा बाबा के जन्म समय एवं स्थल के विषय में अभी तक कोई सही जानकारी नहीं है कहते हैं कि देवराहा बाबा देवरिया देवरिया जिले में पहली बार आम जनता को दिखाई दिए थे।
राम मंदिर के विषय में देवरा बाबा ने क्या भविष्यवाणी की थी ?
सन 1990 के जून महीने के इंटरव्यू में देवराहा बाबा ने राम मंदिर बनने की भविष्यवाणी की थी ,और यह भविष्यवाणी करीब 30 साल बाद यानी कि 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सत्य साबित हुई।
देवराहा बाबा के गुरु का नाम बताइए ?
कहते हैं कि प्रत्येक सनातनी की जीवन में एक गुरु होना चाहिए देवरहा बाबा ने भी काशी में स्वामी जनार्दनचार्य से दीक्षा ली थी। और कुछ समय गुरु आश्रम में ही भगवान की पूजा का दायित्व भी संभाला था।
देवरहा बाबा की कुछ चमत्कार के विषय में बताइए।
भक्तजनों का कहना है कि देवरहा बाबा जल पर भी चल सकते थे। देवरहा बाबा की मर्जी के बगैर कोई उनका फोटो भी नहीं ले सकता था ।इस तर हदेवरहा बाबा ने कई चमत्कार भक्त भक्तों को दिखाए थे।