Friday, February 21, 2025
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Devshayani Ekadashi 2024 तिथि, शुभ मुहूर्त, और पूजा विधि

Devshayani Ekadashi

देवशयनी एकादशी का महत्व:

देवशयनी एकादशी, जिसे हरि शयनी एकादशी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग पर विश्राम करने लगते हैं। यह समय चार महीने (चातुर्मास) का होता है जिसमें विष्णु जी योगनिद्रा में रहते हैं।

चातुर्मास चार महीने का समय है। चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु को विशेष रूप से पूजा जाता है और श्रद्धालु कई धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।

Devshayani Ekadashi का व्रत रखने से पाप दूर होते हैं और पुण्य मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यक्ति को भगवान विष्णु की कृपा मिलती है, जो उसे मरने पर स्वर्ग में स्थान देती है। इस दिन पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ करना अनिवार्य है और विशेष रूप से तामसिक भोजन, मांस और मदिरा का सेवन वर्जित है।

Devshayani Ekadashi का पर्व आत्मसंयम, धार्मिक अनुष्ठानों और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है।

तिथि और समय:

देवशयनी एकादशी तिथि: 17 जुलाई 2024

तिथि प्रारंभ: 16 जुलाई 2024 को रात 08:33 बजे

तिथि समाप्त: 17 जुलाई 2024 को रात 09:02 बजे

व्रत पारण: 18 जुलाई 2024

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Devshayani Ekadashi पूजा विधि:

  • स्नान और सफाई: सुबह स्नान आदि कर मंदिर की साफ-सफाई करें।
  • जलाभिषेक: भगवान विष्णु का जलाभिषेक करें।
  • पंचामृत अभिषेक: पंचामृत और गंगाजल से भगवान का अभिषेक करें।
  • चंदन और पुष्प: भगवान को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें।
  • दीपक प्रज्वलन: मंदिर में घी का दीपक जलाएं।
  • व्रत और संकल्प: संभव हो तो व्रत रखें और व्रत का संकल्प लें।
  • व्रत कथा का पाठ: देवशयनी एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें।
  • इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना विशेष फलदायी मानी जाती है।

विशेष योग: देवशयनी एकादशी के दिन कई शुभ योग, जैसे कि शुभ योग, शुक्ल योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, और अमृत सिद्धि योग बनते हैं, जो इस दिन की पवित्रता और महत्व को और बढ़ा देते हैं।

Devshayani Ekadashi की कथा

कथा कहती है कि एक महान राजा मांधाता था, जो बहुत दयालु, धार्मिक, प्रतापी और सत्यवादी थे। वे अपनी जनता की संतान की तरह सेवा करते थे और उनके सुख-दुख का ख्याल रखते थे। उनके राज्य में सब खुश थे। एक बार ऐसा समय आया कि लगातार तीन साल तक बारिश नहीं हुई, जिससे फसलें बर्बाद हो गईं और अकाल पड़ा। उनके लोग भयभीत होने लगे।

राजा मांधाता को इस स्थिति से बहुत चिंता हुई और जनता की पीड़ा देखकर उनका दिल पसीज गया। वे समाधान खोजने के लिए जंगल में चले गए। वे कई दिनों की यात्रा के बाद ब्रह्मा जी के पुत्र अंगिरा ऋषि के आश्रम पहुंचे। उन लोगों ने गुरु को धन्यवाद दिया।

राजा मांधाता को अंगिरा ऋषि ने बताया कि इस समस्या का समाधान आषाढ़ शुक्ल एकादशी का व्रत करना है। उनका कहना था कि इस व्रत को ठीक से करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होंगे और राज्य में बारिश होगी। अंगिरा ऋषि ने राजा मांधाता को व्रत दिया और भगवान विष्णु की पूजा की।

व्रत और पूजा की वजह से राज्य में बहुत बारिश हुई, जिससे फसलें लहलहा उठीं और अकाल खत्म हो गया। राज्य और जनता दोनों फिर से खुशहाल हो गए। इस प्रकार, राजा मांधाता ने देवशयनी एकादशी का व्रत रखकर अपनी जनता को अकाल से बचाया और भगवान विष्णु की कृपा पाई।

Devshayani Ekadashi के महत्व की प्रमुख बातें:

भगवान विष्णु का विश्राम: देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग पर योगनिद्रा में चले जाते हैं। यह समय चातुर्मास के रूप में जाना जाता है।

चार महीने की पूजा: चातुर्मास के दौरान भक्तजन विशेष पूजा और व्रत करते हैं। यह समय धार्मिक अनुष्ठानों और साधना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

पापों का नाश: देवशयनी एकादशी व्रत करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

मोक्ष की प्राप्ति: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जिससे व्यक्ति को मृत्यु के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

अन्य महत्वपूर्ण बातें:

व्रत कथा का पाठ: व्रत के दौरान देवशयनी एकादशी की व्रत कथा का पाठ करना महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत को पूर्ण करने और उसका लाभ प्राप्त करने के लिए आवश्यक है।

यह पर्व लोगों को भगवान विष्णु की भक्ति करने और उनके आशीर्वाद से अपना जीवन सुंदर बनाने का अवसर देता है।

Devshayani Ekadashi व्रत में सेवन किए जाने वाले खाद्य पदार्थ:

देवशयनी एकादशी के व्रत में साधारणतः अनाज और नमक का सेवन नहीं किया जाता। निम्नलिखित खाद्य पदार्थ व्रत के दौरान खाए जा सकते हैं:

फल:ताजे फल जैसे सेब, केले, संतरे, पपीता, और अंगूर का सेवन किया जा सकता है।

फलों का रस भी पिया जा सकता है।

Devshayani Ekadashi व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें:

व्रत के दौरान ज्यादा तले-भुने खाद्य पदार्थ और मसालेदार भोजन से बचें।

हल्का और सुपाच्य भोजन करें।

पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं ताकि शरीर में हाइड्रेशन बना रहे।

व्रत के अंत में हल्का भोजन करें और तुरंत भारी भोजन से बचें।

इस प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन कर आप देवशयनी एकादशी के व्रत को आसानी से और स्वस्थ रूप से पूरा कर सकते हैं।

सूखे मेवे:

बादाम, पिस्ता, अखरोट, और किशमिश जैसे सूखे मेवे व्रत में खाए जा सकते हैं।

दूध और दूध से बने उत्पाद:

दूध, दही, पनीर, और खीर व्रत के दौरान खाए जा सकते हैं।

लस्सी और छाछ का सेवन भी किया जा सकता है।

साबूदाना:

साबूदाना खिचड़ी या साबूदाना वड़ा जैसे व्यंजन व्रत के लिए लोकप्रिय विकल्प हैं।

साबूदाना की खीर भी बनाई जा सकती है।

आलू:

उबले आलू, आलू की सब्जी या आलू के पकोड़े खाए जा सकते हैं।

सिंघाड़ा और कुट्टू का आटा:

सिंघाड़ा (वाटर चेस्टनट) और कुट्टू (बकव्हीट) के आटे से बने पकवान जैसे पूड़ी, पराठा या चीला खाए जा सकते हैं।

सेंधा नमक:

सामान्य नमक की जगह सेंधा नमक का प्रयोग किया जा सकता है।

मखाना (फॉक्स नट) भी एक अच्छा विकल्प है।

Devshayani Ekadashi का व्रत करने से पुण्य मिलता है और पाप मिटता है। मृत्यु के बाद व्यक्ति भगवान विष्णु की कृपा से स्वर्ग में जाता है।

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