Wednesday, February 5, 2025
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Dhanteras Muhurat-धनतेरस-2023

Dhanteras Muhurat– धनतेरस

धनतेरस या धनत्रयोदशी यह हिंदू कैलेंडर के कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष के (अंधेरा पखवाड़ा) के तेरहवें चंद्र दिवस (त्रयोदशी) को मनाया जाता है । धनवंतरी, जिनकी पूजा धनत्रयोदशी के अवसर पर की जाती है, धनवंतरी को आयुर्वेद का देवता माना जाता है, जिन्होंने मानव जाति की बेहतरी के लिए और बीमारी की पीड़ा से छुटकारा पाने में मदद करने के लिए आयुर्वेद का ज्ञान प्रदान किया।

Dhanteras Muhurat-धनतेरस-2023

भारतीय आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी मंत्रालय ने धनत्रयोदशी को “राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस” के रूप में मनाने के अपने निर्णय की घोषणा की, जिसे पहली बार 28 अक्टूबर 2016 को मनाया गया था।

धनत्रयोदशी पर, दिवाली की तैयारी में जिन घरों की अभी तक सफाई नहीं की गई है, उन्हें अच्छी तरह से साफ किया जाता है । शाम को स्वास्थ्य और आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि की पूजा की जाती है। मुख्य प्रवेश द्वार को रंगीन लालटेन, रोशनी से सजाया गया है । धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए रंगोली डिजाइन के पारंपरिक रूपांकन बनाए गए हैं। देवी लक्ष्मी के लंबे समय से प्रतीक्षित आगमन को इंगित करने के लिए पूरे घर में चावल के आटे और सिंदूर के पाउडर के साथ छोटे पैरों के निशान बनाए जाते हैं।

धनत्रयोदशी की रात को लक्ष्मी और धन्वंतरि के सम्मान में पूरी रात दीयों को धार्मिक रूप से जलाया जाता है।

धनतेरस को दीपावली का पहला दिन के रूप में मनाया जाता है।


इस अवसर पर हिंदू अपने घरों की साफ-सफाई तथा रंग रोगन करते हैं घर को अच्छी तरह से सजाया जाता है धनतेरस से धन की और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी की स्वागत के लिए विभिन्न विभिन्न प्रकार की रंगोली डिजाइन बनाना परंपरा का हिस्सा है इस अवसर पर पूरे घर में चावल आटे और सिंदूर के पाउडर के साथ- साथ छोटे-छोटे लक्ष्मी जी के पैर की डिजाइन बनाई जाती है

धन त्रयोदशी की रात को मां लक्ष्मी और आरोग्य के देवता धनवंतरी के सम्मान में रात में पूरे घर को दियो से सजाया जाता है।

हिंदू धर्म में धनतेरस के दिन नई खरीदारी करने के लिए एक अत्यंत शुभ दिन माना जाता है इस दिन विशेष रूप से धातु के अथवा सोने या चांदी के गहनों , नए बर्तनों की खरीदारी की जाती है कीमती धातु से बनी हुई कोई भी वस्तु की खरीदारी करना सौभाग्य की निशानी माना जाता है।


आधुनिक समय में धनतेरस के दिन विभिन्न विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और वाहनों को खरीदना भी शुभ माना जाता है।

धनतेरस के दिन से पूरे घर को रोशनी से जगमगाया जाता है घर के मुख्य द्वार को दियो से सजाया जाता है धनतेरस का दिन धन और समृद्धि बढ़ाने के उद्देश्य मनाया जाता है।

धनतेरस का महत्व माता लक्ष्मी द्वारा मूर्त रूप में शुद्ध, नवीनीकरण और सुरक्षा के लिए भी मनाया जाता है।

धनतेरस पर पूजा का शुभ मुहूर्त Dhanteras Muhurat

धनतेरस पर पूजा का शुभ मुहूर्त 10 नवंबर, शुक्रवार को शाम 05 बजकर 48 मिनट से शाम 07 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। धनतेरस पूजन की कुल अवधि 01 घंटा 56 मिनट है।

Dhanteras Muhurat-धनतेरस-2023

धनतेरस पूजा की विधि

सबसे पहले पूजा स्थल को स्वच्छ कर ले तथा किसी बड़े लकड़ी के चौरंग पर केसरी अथवा लाल रंग का कपड़ा रख उसे पर चावल अथवा गेहूं की एक छोटी सी ढेरी बनाकर एक दिए में देसी घी डालकर बत्ती को जलाकर रखें और फिर मां लक्ष्मी का ध्यान करते हुए तीन बार श्री सूक्त का पाठ करें । मां लक्ष्मी सहित सभी देवी देवताओं को घर में तैयार किए गए व्यंजन का भोग लगाएं और परिवार सहित प्रसाद के रूप में ग्रहण करें इ,ससे आप सभी पर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी और आपके जीवन में समृद्धि बढ़ेगी।

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धनतेरस से जुड़ी किंवदंति

एक किंवदंती के अनुसार राजा हेमा के 16 वर्षीय पुत्र जिनकी कुंडली में शादी के चौथे दिन सांप के काटने से मृत्यु की भविष्यवाणी की गई थी । इस दिन राजा के पुत्र की पत्नी ने राजकुमार को सोने नहीं दिया ।उसने अपने सभी गहने सोने और चांदी के सिक्के शयन कक्ष के प्रवेश द्वार पर एक थाल में सजा कर रख दिए और आजू-बाजू विभिन्न प्रकार के दीपक जलाए गए । अपने पति को नींद ना आए इसलिए राजा के पुत्र की पत्नी ने विभिन्न विभिन्न प्रकार की कहानी और गीत सुनाती रही ।

अगले दिन जब मृत्यु के देवता यमराज नाग के वश में राजकुमार के कक्षा के प्रवेश द्वार पर पहुंचे तो उन्होंने दीपक और आभूषणों की चमक देखी तो उनकी आंखें चौंधिया गई और यमराज राजकुमार के कक्ष में प्रवेश नहीं कर पाए और वह सोने के सिक्कों के ढेर पर चढ़ गए।

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दूसरे दिन सुबह यमराज चुपचाप वहां से निकल गए । इस प्रकार नव विवाहित पत्नी के चतुराई से युवा राजकुमार मौत के मुंह से बच गए ।इसलिए इस दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाने लगा ।

इसलिए धनतेरस धनतेरस को या दीपन के रूप में भी मनाए जाने लगा, क्योंकि धनतेरस के दिन घर की महिलाएं रात भर यमराज की महिमा गाती हुई मिट्टी के दीपक जलाए रखती है । चुकी धनतेरस दिवाली से पहले की रात है इसलिए इसे उत्तर भारत में छोटी दिवाली भी कहा जाता है ।

वही जैन धर्म में धनतेरस को धन्यात्रे के रूप में मनाया जाता है जिसका अर्थ है “तेरहवें का शुभ दिन” ।


ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान महावीर ने दुनिया में सब कुछ छोड़कर मोक्ष से पहले ध्यान करने की स्थिति में चले गए थे इसलिए इस दिन को शुभ अथवा धन्य दिन भी माना गया है।

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