Thursday, November 14, 2024
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Jitiya Vrat – Jivitputrika Vrat : पूजा विधि, शुभ मुहूर्त 24

Jitiya Vrat – Jivitputrika Vrat

Jitiya Vrat – Jivitputrika Vrat जीवित्पुत्रिका व्रत जिसे आमतौर पर जितिया व्रत भी कहा जाता है, माताओं द्वारा अपनी संतान की दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए किया जाने वाला एक कठिन व्रत है। यह विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में प्रमुखता से मनाया जाता है।

Jitiya Vrat - Jivitputrika Vrat

Jitiya Vrat – Jivitputrika Vrat जीवित्पुत्रिका व्रत: शुभ मुहूर्त

व्रत के दिन पूजा करने के लिए कई शुभ मुहूर्त होते हैं। इस वर्ष के प्रमुख मुहूर्त निम्नलिखित हैं:

  • शुभ मुहूर्त: शाम 4:42 बजे से शाम 6:14 बजे तक
  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:36 बजे से सुबह 5:21 बजे तक
  • अमृत काल: दोपहर 12:12 बजे से 1:48 बजे तक
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 2:13 बजे से 3:00 बजे तक
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 6:12 बजे से शाम 6:38 बजे तक
Jitiya Vrat - Jivitputrika Vrat

Jitiya Vrat – Jivitputrika Vrat and Dwipushkar Yoga जीवित्पुत्रिका व्रत 2024 और द्विपुष्कर योग

इस वर्ष का जितिया व्रत विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन द्विपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है। द्विपुष्कर योग को वैदिक ज्योतिष में अत्यंत शुभ माना जाता है, और इसे किसी भी कार्य के लिए बहुत ही फलदायी समय माना जाता है। यह योग 25 सितंबर 2024 को सुबह 6:11 बजे से रात 12:38 बजे तक रहेगा। इस दौरान की गई पूजा विशेष लाभकारी मानी जाती है।

Importance of Jitiya Vrat – Jivitputrika Vrat जीवित्पुत्रिका व्रत का महत्व

जीवित्पुत्रिका व्रत का मुख्य उद्देश्य संतान की सुरक्षा, दीर्घायु और खुशहाली के लिए भगवान की कृपा प्राप्त करना है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने वाली माताओं की संतानों पर आने वाले संकटों और आपदाओं से रक्षा होती है। यह व्रत न केवल माताओं के संतान के प्रति अटूट प्रेम और समर्पण को दर्शाता है, बल्कि उनके स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए भगवान से प्रार्थना करने का एक विशेष अवसर भी प्रदान करता है।

Puja Vidhi of Jitiya Vrat – Jivitputrika Vrat जीवित्पुत्रिका व्रत की पूजा विधि

इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करती हैं और स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं। इसके बाद वे व्रत का संकल्प लेती हैं और पूजा की तैयारी करती हैं। पूजा स्थल को गोबर से लीपकर साफ किया जाता है और वहां एक छोटा तालाब बनाकर उसमें पाकड़ के पेड़ की एक डाल लगाई जाती है। इस तालाब में भगवान जीमूतवाहन की प्रतिमा स्थापित की जाती है, जिन्हें इस व्रत का प्रमुख देवता माना जाता है।

पूजा सामग्री में जल, चावल, फल, फूल, धूप, दीप, कुमकुम और मिठाई शामिल होती है। पूजा के दौरान महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं, यानी वे पूरे दिन और रात तक बिना जल ग्रहण किए व्रत का पालन करती हैं। संध्या समय भगवान जीमूतवाहन की कथा का श्रवण या वाचन किया जाता है और अंत में पुत्रों की दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।

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Jitiya Vrat – Jivitputrika Vrat Katha जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा

जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सतयुग के धर्मपरायण राजा जीमूतवाहन से जुड़ी है। राजा जीमूतवाहन ने अपना राज्य त्यागकर वनवास का जीवन अपनाया था। वन में रहते समय उन्होंने नाग जाति पर आने वाले संकट को दूर करने का संकल्प लिया। गरुड़ हर दिन एक नाग को भोजन के रूप में पकड़ लेता था। जीमूतवाहन ने स्वेच्छा से गरुड़ को अपने शरीर का आहार बनने का प्रस्ताव दिया ताकि नाग जाति की रक्षा हो सके।

गरुड़ जब जीमूतवाहन को ले जाने लगा, तब उसकी वीरता और परोपकार से प्रभावित होकर उसने जीमूतवाहन को मुक्त कर दिया और नागों को ना खाने का वचन दिया। तभी से जीमूतवाहन की पूजा के माध्यम से माताएं अपनी संतान की सुरक्षा और लंबी उम्र की कामना करती हैं।

Benefits of Jitiya Vrat – Jivitputrika Vrat जीवित्पुत्रिका व्रत के लाभ

इस व्रत के करने से माताओं की संतानें हर प्रकार के संकट से सुरक्षित रहती हैं और उन्हें भगवान जीमूतवाहन की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत के माध्यम से माताएं अपनी संतानों की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करती हैं।

Jitiya Vrat – Jivitputrika Vrat जीवित्पुत्रिका व्रत पारण

व्रत के अगले दिन यानी 26 सितंबर को व्रतधारी महिलाएं पारण करती हैं। पारण का समय सुबह 4:35 बजे से सुबह 5:23 बजे तक रहेगा। पारण के समय व्रत का समापन किया जाता है और प्रसाद ग्रहण किया जाता है।


इस प्रकार, जितिया व्रत 2024 में द्विपुष्कर योग के संयोग से और भी महत्वपूर्ण हो गया है। माताएं इस दिन भगवान जीमूतवाहन की पूजा कर अपनी संतान के दीर्घायु और कल्याण के लिए प्रार्थना करती हैं।

Disclaimer अस्वीकरण:

इस ब्लॉग में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं, परंपराओं और पंचांगों पर आधारित है। यह जानकारी केवल सामान्य जानकारी और जागरूकता के उद्देश्य से प्रस्तुत की गई है। पूजा विधि, व्रत और शुभ मुहूर्त आदि से संबंधित जानकारी व्यक्तिगत आस्था और परंपराओं पर निर्भर करती है, और इनकी पुष्टि के लिए संबंधित धार्मिक ग्रंथों, विशेषज्ञों या विद्वानों की सलाह ली जा सकती है।

किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या व्रत से पूर्व, संबंधित आचार्य या पंडित से मार्गदर्शन लेना उचित होगा। लेखक और इस वेबसाइट का उद्देश्य किसी भी प्रकार की धार्मिक मान्यताओं को प्रभावित करना नहीं है।

जीवित्पुत्रिका व्रत (जितिया व्रत) क्या है?

जीवित्पुत्रिका व्रत, जिसे जितिया व्रत भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण व्रत है जो माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और सुरक्षा के लिए रखती हैं। यह विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, और नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है।

जितिया व्रत 2024 में कब है?

इस वर्ष जितिया व्रत 25 सितंबर 2024, बुधवार को मनाया जाएगा। अष्टमी तिथि 24 सितंबर को दोपहर 12:40 बजे से शुरू होकर 25 सितंबर को दोपहर 12:15 बजे तक रहेगी।

जितिया व्रत में द्विपुष्कर योग का क्या महत्व है?

द्विपुष्कर योग को वैदिक ज्योतिष में अत्यंत शुभ माना जाता है। इस वर्ष जितिया व्रत के दिन द्विपुष्कर योग बन रहा है, जो 25 सितंबर को सुबह 06:11 से रात 12:38 तक रहेगा। इस योग में किए गए कार्यों का फल कई गुना बढ़ जाता है।

जितिया व्रत का पारण कब और कैसे किया जाता है?

जितिया व्रत का पारण नवमी तिथि को होता है। इस वर्ष 26 सितंबर 2024 को सुबह 04:35 से 05:23 के बीच व्रतधारी महिलाएं पारण कर सकती हैं, जिसमें प्रसाद ग्रहण किया जाता है।

क्या जितिया व्रत केवल पुत्रों के लिए रखा जाता है?

नहीं, जितिया व्रत केवल पुत्रों के लिए नहीं बल्कि पुत्रियों के लिए भी रखा जाता है। यह व्रत माताओं द्वारा अपनी सभी संतानों की दीर्घायु और कल्याण के लिए किया जाता है।

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