Ram Mandir aur Monkey Ki Bhumika -24
Ram Mandir aur Monkey
हम सभी जानते हैं लंका अभियान के समय राम जी की सेना में मनुष्य के साथ-साथ विभिन्न प्रजाति के पशु पक्षी ने भी अपनी शक्ति अनुसार सेवाएं दी थी।
आज हम Ram Mandir aur Monkey Ki Bhumika (वानर अर्थात की बंदर ) के विषय में कुछ चर्चा करेंगे , जिन्होंने कि त्रेता युग से कलयुग तक विभिन्न विभिन्न समय पर कोई न कोई रूप में रामकाज के लिए अपनी सेवाएं प्रदान की , तो चलिए उन में से कुछ तथ्यों पर प्रकाश डालते हैं ।
बंदर की उपस्थिति में जज ने सुनाया था रामजन्मभूमि का ताला खुलवाने का फैसला–
लेखक हेमंत शर्मा जिन्होंने की अयोध्या पर एक किताब लिखी है ,उन्होंने आंखों देखी घटना का विवरण लिखा है । किताब में वह लिखते हैं की कृष्ण मोहन पांडे जो की फैजाबाद जिला न्यायालय के न्यायाधीश थे और उनकी ही कोर्ट में मुकदमा चल रहा था ।
1991 में छपी अपनी आत्मकथा में लिखते हैं- दोनों पक्षों की बात सुनाने के बाद जिस दिन 1 February 1986, ताला खोलने का फैसला आया तो , जज साहब ने कोर्ट की इमारत के ऊपर बंदर रूपी बजरंगबली को बैठे हुए देखा। यह काला बंदर कोर्ट की इमारत के ध्वज स्तंभ को पड़कर सुबह 10:00 बजे से शाम के 5:00 तक ,जब तक की फैसला लिखा गया बैठा रहा ।
शाम 4.40 पर जज साहब फैसला लिखा गया।
लोग जो लोग अदालत का फ़ैसला सुनाने आये थे, उन्होंने इस बंदर को चना और मूंगफली भी दिए । लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा की बंदर ने उनमें से कुछ भी नहीं खाया । वह सिर्फ ध्वज स्तंभ को पकड़ कर चुपचाप बैठ रहा ।
जिला कलेक्टर और एसपी साहब ने न्यायाधीश पांडे जी को उनके घर तक छोड़ने पहुंचे तब उन्होंने देखा कि वही बंदर जो कोर्ट की इमारत पर स्तंभ को पकड़े बैठा था वह घर के बरामदे में भी बैठा है।
पांडे जी लिखते हैं कि यह सब देखकर मैं बहुत आश्चर्यचकित हो गया मैंने मन ही मन उन्हें प्रणाम किया और मुझे लगा कि यह कोई देवी शक्ति ही हो सकती है।
हम सभी जानते हैं कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर पूरे देश में पड़ा ,लेकिन यह बात गोरखपुर के जगन्नाथपुर इलाके की है और यह बात 90 के दशक की है जब राम मंदिर आंदोलन अपनी चरम पर था ।
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राम मंदिर के ताला खोलने का आदेश देने वाले जज के करियर का भी फैसला इसी दिन होने था । करण की केंद्र ने उत्तर प्रदेश सरकार से हाई कोर्ट में प्रमोशन के लिए जजों की सूची मांगी थी।
केंद्र के आदेश पर तत्कालीन सरकार ने केंद्र को 15 जजों की नाम की एक सूची भेजी उसे सूची में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने एक जज के नाम पर अपनी टिप्पणी भी दे रखी थी विश्व हिंदू परिषद ने बताया कि इस नोट की वजह से ही जो जज प्रमोशन के हकदार थे , लेकिन केंद्र सरकार उनके नाम पर विचार नहीं कर सकी ।
यह जस्टिस कोई और नहीं जस्टिस कृष्ण मोहन पांडे थे जिन्होंने जिला जज रहते हुए अयोध्या के राम मंदिर पर ताला खुलवाने का आदेश दिया था ।
जब एक बंदर ने हनुमान गढ़ी मंदिर में एक बम विस्फोट को रोका
लेखक ने1982-बैच के यूपी पुलिस अधिकारी इंस्पेक्टर (सेवानिवृत्त) अविनाश मिश्रा से बात की, जो 1985 -2019 के बीच उत्तर प्रदेश पुलिस में अपनी सेवा दी थी ।
यह बात सन 1998 की है । हम सभी जानते हैं किअयोध्या अति संवेदनशील क्षेत्रों में आता है । एक दिन खबर आई कि करीब-करीब 20 किलो आरडीएक्स अयोध्या में कहीं छुपाया गया है । एसटीएफ और पुलिस ने तत्परता से उसकी खोजबीन शुरू की और समय रहते हुए उसे जप्त कर लिया गया और इस तरह अयोध्या में किसी प्रकार की अनहोनी होने से बचा ली गई ।
कहते हैं कि इन सब के पीछे भी एक बंदर का बहुत बड़ा योगदान था । एसटीएफ को समाचार मिला था कि भेष बदलकर अयोध्या में सबसे प्राचीन मंदिर हनुमानगढ़ में एक आतंकवादी घुस गया है और उसने वहां कहीं तो भी टाइम बम सेट कर रख दिया है , काफी मेहनत करने के बाद पुलिस ने उसे बाहर भागते समय पकड़ लिया और पूछताछ करने पर यह मालूम चला कि बम में विस्फोट होने में केवल 1 मिनट का समय शेष रह गया है।
इस पुलिस बल का नेतृत्व तत्कालीन इंस्पेक्टर अविनाश मिश्रा कर रहे थे वह मंदिर में गए और टाइम बम खोजने लगे । मंदिर का हर एक कोना और गलियारा उन्होंने छान मारा , लेकिन उन्हें बम जैसी कोई भी वस्तु दिखाई नहीं दी । तब उन्होंने देखा कि मंदिर के प्रांगण में रखी गई ठंडे पानी की मशीन के पास एक छोटा बंदर बैठा है और उसके हाथ में दो तार है, जिसे लेकर वह खेल रहा है और मुंह में लेकर चलाए जा रहा है ,जैसे वह कुछ काट रहा हो ।
पुलिस को यह समझने में देर नहीं लगी कि हो ना हो इसी मशीन में कहीं तो भी बम रखा गया है । उन्होंने वानर से तार छुड़ाने की कोशिश की और उसकी तरफ केले फेक। बंदर ने उछलकर केलों को पकड़ लिया और तार छोड़कर कहीं लुप्त हो गया । बम निरोधक दस्ता बुलाया गया और जैसे ही उन्होंने वह ठंडा पानी की मशीन खोली तो उन्हें एक टाइम बम सेट किया हुआ मिला ।
बम फटने में सिर्फ 3 सेकंड का समय बाकी रह चुका था। लेकिन बम निरोधक दस्ते में से आवाज आई, किसर इस बम को तो पहले ही डिफ्यूज यानी कि नष्ट किया जा चुका है। यह देखिए टाइमर 3 सेकंड पर रुक गया है ।
हकीकत यह थी कि उसे बम को छोटे से बंदर ने अपने दांत से काटकर उसके तार अलग कर दिए थे ।।और इस तरह उसे बंदर ने अयोध्या में एक बहुत बड़ी होने वाली अनहोनी घटना को टाल दिया।
कुछ देर बाद पुलिस बल ने देखा कि वही बंदर हनुमानगढ़ के मंदिर के शिकार के ऊपर कलश को सहला रहा है ।तब भक्तों को यह विश्वास हो गया कि यह वानर कोई और नहीं स्वयं बजरंगबली ही थे जो प्रभु श्री राम की रक्षा करने और मानव का संकट हरने आए थे ।
इसी तरह समय-समय पर हनुमान जी अयोध्या की रक्षा करते हैं और खैर खबर भी लेते रहते हैं।
रामलला के दर्शन करने पहुंचा बंदर
हम सभी जानते हैं कि 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में रामलला के बाल रूप की प्राण प्रतिष्ठा की गई है । और मंगलवार से मंदिर को आम लोगों के दर्शन के लिए खोल दिया गया है। मंदिर की सुरक्षा में तैनात सुरक्षा कर्मियों ने हमें अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने किस तरह रामलाल के दर्शन को आए हुए भक्त जनों के बीच श्री हनुमान जी को प्रत्यक्ष देखा है ।
बात श्याम 5:50 की है जब मंदिर के दक्षिणी द्वार से एक बंदर मंडप में प्रवेश करते हुए गर्भ ग्रह तक पहुंच गया और मूर्ति के पास में जाकर कुछ देर रुक कर और बिना किसी को आघात पहुंचाए दूसरे द्वारा से वह निकल भी गया । सुरक्षाकर्मी बंदर की ओर यह सोचकर दौडे की उसके द्वारा मूर्ति को कोई नुकसान ना हो। लेकिन वह बंदर बिना डरे ,शांत भाव से द्वार से बाहर निकल लगा।
उत्तरी द्वारा बंद होने के कारण वह पूर्वी दिशा की ओर बढ़ा और दर्शनार्थियों के बीच से बिना किसी को कष्ट पहुंचाए पूर्वी द्वार से बाहर निकल गया ।
प्रत्यक्ष दर्शनार्थियों और स्वयं सुरक्षा कर्मियों के लिए यह अनुभव ऐसा था मानो स्वयं हनुमान जी राम लाल के दर्शन करने आए हो।
बंदर ने अयोध्या को कैसे बचाया?
मंदिर में रखे गए टाइम बम के तार को अपने दांतों से काट कर बंदर ने बंदर ने अयोध्या को कैसे बचाया था ।
रामायण में बंदर कौन थे?
हनुमानजी और सुग्रीव सेना ने वानर रूप में श्री राम जी को अपनी सेवा दी थी।
भगवान राम ने बंदरों को क्या वरदान दिया था?
प्रभु श्री राम ने बंदरों को यह वरदान दिया था कि जब भी उनकी मृत्यु आए तो उन्हें यह बात पहले ही पता चल जाए ताकि वह मृत्यु से पूर्व भगवान राम की तपस्या में लीन हो जाए।