Thursday, November 21, 2024
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Shardiya Navratri नौ रंग और उनका धार्मिक महत्त्व 24


Shardiya Navratri

नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे पूरे भारत में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। Shardiya Navratri यह नौ दिन का पर्व देवी दुर्गा के नौ अवतारों को समर्पित होता है, जहां हर दिन देवी के एक विशेष रूप की पूजा की जाती है।

प्रत्येक रंग का अपना आध्यात्मिक महत्व होता है। 2024 में Shardiya Navratri शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक मनाई जाएगी।

Shardiya Navratri

Shardiya Navratri नवरात्रि के दौरान भक्त उपवास रखते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है, और प्रत्येक दिन के लिए एक विशेष रंग पहनना शुभ माना जाता है।

Shardiya Navratri शारदीय नवरात्रि 2024: तारीख और समय

नवरात्रि के शुभ घटस्थापना मुहूर्त की शुरुआत 3 अक्टूबर को सुबह 6:30 बजे होगी और यह 7:31 बजे समाप्त होगा। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:03 बजे से 12:51 बजे तक रहेगा। पर्व की शुरुआत देवी शैलपुत्री की पूजा के साथ होगी और 12 अक्टूबर को दशहरा के साथ समाप्त होगी, जो भगवान राम की रावण पर विजय का प्रतीक है।

Shardiya Navratri 2024: पूजा विधि, सामग्री और आरती

नवरात्रि देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का एक पवित्र पर्व है। इस नौ दिन के उत्सव के दौरान, भक्त विभिन्न विधियों से पूजा करते हैं, मंत्रों का उच्चारण करते हैं और प्रार्थना करते हैं। सही पूजा विधि जानना, आवश्यक सामग्री होना और आरती का सही पाठ करना देवी के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।


Shardiya Navratri नवरात्रि 2024 के लिए पूजा विधि पहला दिन: घटस्थापना

पूजा विधि:

  1. घटस्थापना मुहूर्त: सुबह के शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें।
  2. कलश स्थापना: एक कलश में जल भरें, उसे आम के पत्तों, नारियल और लाल कपड़े से सजाएं।
  3. दुर्गा माँ का आह्वान: देवी शैलपुत्री की पूजा करें, जो नवरात्रि के पहले दिन की देवी हैं।
  4. मंत्र उच्चारण: दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
  5. आरती: पूरी श्रद्धा के साथ माँ की आरती करें।

Shardiya Navratri नवरात्रि के लिए आवश्यक पूजा सामग्री

आवश्यक पूजा सामग्री:

कलश: घटस्थापना के लिए पवित्र कलश।

नारियल: कलश के ऊपर रखने के लिए।

आम के पत्ते: कलश को सजाने के लिए।

लाल चुनरी: माँ दुर्गा को अर्पित करने के लिए।

रोली और अक्षत: तिलक लगाने और चावल चढ़ाने के लिए।

अगरबत्ती: वातावरण शुद्ध करने के लिए।

घी का दीपक: देवी के समक्ष दीपक जलाने के लिए।

फूल और माला: देवी को अर्पित करने के लिए।

पंचामृत: दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण।

मिष्ठान्न: भोग के लिए मिठाई।

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दुर्गा जी की आरती:

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।

सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।

कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।

धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।

मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,

भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।

श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।

कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी

Shardiya Navratri नवरात्रि के दौरान अन्य महत्वपूर्ण अनुष्ठान

  • (कन्या पूजन): कन्या पूजन: नवरात्रि के आठवें या नौवें दिन कन्याओं का पूजन किया जाता है, जो देवी के नौ रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्हें भोजन कराया जाता है और उपहार दिए जाते हैं।
  • (व्रत और भोग): व्रत और भोग: कई भक्त नौ दिनों तक या विशेष दिनों पर उपवास रखते हैं। भोग में फल, मिठाई, और पंचामृत शामिल होते हैं, जिन्हें देवी को अर्पित किया जाता है और फिर भक्तों में बांटा जाता है।
  • (दुर्गा सप्तशती का पाठ): दुर्गा सप्तशती का पाठ: नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती या देवी महात्म्य का पाठ अत्यंत शुभ माना जाता है और इससे देवी की कृपा प्राप्त होती है।
  • (दशहरा) दशहरा: नवरात्रि के बाद दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है, जो अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। भगवान राम की रावण पर और देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय का सम्मान इस दिन किया जाता है।

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