Thursday, November 14, 2024
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Waste-to-energy कचरे से बिजली बनाना-A wonderful innovation-2023

Waste-to-energy – कचरे से बिजली बनाना उद्देश –

कचरे से बिजली बनाना यह मानव द्वारा बिजली बनाने की एक सराहनीय खोज है ।

Waste-to-energy – इस खोज से मानव हमेशा के लिए – वातावरण में फैले हुए प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से मुक्ति पाने का साथ ही साथ दवाइयों के बढ़ते हुए खर्च से और असमय होने वाली मृत्यु इत्यादि से भी काफी हद तक मुक्ति पा लेगा।

इस कचरे में सभी प्रकार का कचरा जैसे कि अपशिष्ट ठोस, तरल या गैसीय भी हो सकता है।साथी ही साथ घरेलू कचरा, नगर पालिका, बायो मेडिकल रेडियोधर्मी कचरा सहित सभी प्रकार के कचरे शामिल है ।

 Waste-to-energy

Waste-to-energy कचरे से बिजली बनाने की प्रक्रिया को हम कचरा प्रबंधन भी कह सकते हैं।


विश्व के विकसित और विकासशील देशों में कचरा प्रबंधन एक समान नहीं है। इसी तरह शहरी क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्रों में भी आवासीय और औद्योगिक कचरे का प्रबंध करना अलग-अलग हो सकते हैं।
प्रदूषण मुक्त आवासीय निर्माण के लिए कचरे का उचित प्रबंध करना काफी महत्वपूर्ण है लेकिन यह अभी तक कई विकासशील देशों में एक चुनौती बना हुआ है।

ऐसी अन्य रोचक जानकारी के लिए आप हमारी आधिकारिक वेबसाइट hindidiaries.info पर जाकर प्राप्त कर सकते हैं।


Waste-to-energy एक रिपोर्ट में यह पाया गया है कि नगर पालिका द्वारा आवश्यक सेवा को संचालित करने के लिए आमतौर पर नगर नगर पालिका का 20 से 50% बजट सिर्फ कचरा प्रबंधन में ही खर्च हो जाता है।

कचरे से बिजली बनाना यह मानव द्वारा बिजली बनाने की एक सराहनीय खोज है ।

नगर पालिका का ठोस कचरा जिसमें की घरेलू औद्योगिक और वाणिज्य कचरा भी शामिल है।
इंटर गवर्नमेंट पैनल ऑफ क्लाइमेट चेंज (IGPCC ) के अनुसार 2050 तक नगरपालिका ओं का ठोस कचरा लगभग 3.4 Giga टन की घटक तक पहुंचने की उम्मीद है।


वैज्ञानिकों के समूह द्वारा की गई जांच में यह निष्कर्ष निकलकर सामने आया है कि सभी नगर पालिकाओं का ठोस कचरा का लगभग एक चौथाई हिस्सा एकत्रित ही नहीं किया जाता और जो कचरा एकत्रित किया जाता है उसका भी एक चौथाई हिस्सा अक्सर को प्रबंध की भेंट चढ़ जाता है अथवा खुला और अनियंत्रित आग में जलाया जाता है।
यह कचरा विश्व भर में करीब करीब एक अरब टन हो सकता है।

Waste-to-energy

इलेक्ट्रॉनिक कचरा ( ई-वेस्ट) -बेकार पड़े हुए कंप्यूटर मॉनिटर, मदरबोर्ड ,मोबाइल फोन चार्ज, कंपैक्ट डिस्क, हेडफोन, टेलीविजन सेट , एयर कंडीशन , रेफ्रिजरेटर इत्यादि शामिल है । यह कचरा भी मानव स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक साबित हो रहा है।


ग्लोबल ई वेस्ट मॉनिटर 2017 के अनुसार भारत प्रतिवर्ष 2 मिलियन टन ई-वेस्ट का उत्पादन करता है जो कि इलेक्ट्रॉनिक कचरा उत्पादन में पूरे विश्व में पांचवा स्थान रखता है।


इलेक्ट्रॉनिक्स कचरा उत्पादन करने में अमेरिका चीन जापान और जर्मनी के बाद भारत का नंबर आता है।

Waste-to-energy कचरा एकत्रित प्रक्रियाएवं उसका निवारण –

अधिकांश यूरोपीय देश जैसे कि अमेरिका , कनाडा-न्यूजीलैंड और भी अन्य विकसित देशों में शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के घरेलू एवं व्यवसायिक परिसर में फैले हुए गीला कचरे को एक जगह एकत्रित किया जाता है ।।और उसे फिर बड़े-बड़े ट्रैकों में लाद कर उसका उचित निपटान किया जाता है। कुछ क्षेत्रों में छोटे बोर ट्यूब के माध्यम से वैक्यूम द्वारा भी कचरा एकत्रित किया जाता है।


एकत्रित कचरे में गीला एवं सूखा कचरा रहता है। गीला और कचरा सुखा कचरा को अलग-अलग कर दिया जाता है। और फिर सूखा कचरे को आसानी से रीसायकल कर और कचरे को खाद रूप में रुपांतरित कर उसका खेतों में उपयोग किया जाता है। उसी तरह भी पर बने हुए बड़े बड़े गड्ढे में भी इस कचरे को एकत्रित किया जाता है । इस प्रक्रिया द्वारा गीला कचरे का खाद बनना और उसका सूखे कचरे को नष्ट किया जाता है।

Waste-to-energyकचरे को बिजली में परिवर्तित करना-

1. पूरे शहर से एकत्रित कचरे को एक कुएं में जमा किया जाएगा।

2.उससे उत्पन्न गैस को प्यूरीफायर तक पहुंचाए जाता है और फिर प्यूरीफायर में इस गैस का शुद्धिकरण होता है

3.शुद्ध की गैस से प्लांट में टरबाइन को जोर से घुमाकर बिजली का उत्पादन किया जाता है

4.और वाट में उत्पन्न बिजली को आवश्यकतानुसार परिवर्तित कर दिया जाता है

।5.परिवर्तित की गई बिजली पावर ग्रिड द्वारा विभिन्न बिजली स्टेशनों तक पहुंचाई जाती है और फिर वही बिजली उपभोक्ताओं तक भी पहुंचाई जाती है।

Waste-to-energy कचरे से ऊर्जा बनाना यह एक विकासशील प्रक्रिया है । इस प्रक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड , कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन और थोड़ी मात्रा में ऑक्सीजन की उपस्थिति में उच्च तापमान में कचरे को गैस में बदल जाता है। इस प्रक्रिया को सिंथेसिस कहते हैं ,और इस गैस का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए किया जाता है। लेकिन गैस से बिजली उत्पन्न करना यह एक कुशल प्रक्रिया में नहीं आता कारण इस प्रक्रिया के अंतर्गत अधिक ऊर्जा की खपत होती है।

सूखे कचरे से बिजली बनाने के लिए सबसे पहले सूखे कचरे को गैस में परिवर्तित कर दिया जाता है । और फिर उसी गैस से बिजली उत्पन्न की जाती है। उसी तरह कहीं कहीं पर सूखे कचरे को जलाकर भी बिजली बनाई जाती है । उस प्रक्रिया को Thermal ऊर्जा कहते हैं।


Waste-to-energy कचरे से ऊर्जा बनाना यह एक विकासशील प्रक्रिया है । इस प्रक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड , कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन और थोड़ी मात्रा में ऑक्सीजन की उपस्थिति में उच्च तापमान में कचरे को गैस में बदल जाता है। इस प्रक्रिया को सिंथेसिस कहते हैं ,और इस गैस का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए किया जाता है। लेकिन गैस से बिजली उत्पन्न करना यह एक कुशल प्रक्रिया में नहीं आता कारण इस प्रक्रिया के अंतर्गत अधिक ऊर्जा की खपत होती है।

Waste-to-energy

Waste-to-energy कचरे से बिजली बनाने के लाभ-

  • कचरे से बिजली बनाने पर उपभोक्ताओं को सस्ते दर में बिजली मिल सकेंगीऔर इसका रखरखाव भी आसानी से होगा।
  • शहर में बार-बार बिजली गोल होने वाली समस्या भी नहीं रहेगी।
  • शहर को कचरे से मुक्ति मिलेगी।
  • शहर प्रदूषण मुक्त होंगे।
  • प्रत्येक घर से कचरा जमा करने के लिए सफाई कर्मचारियों की मदद ली जाएगी और इसमें महिला समूह की भी भागीदारी होंगी इससे रोजगार उत्पन्न होगा।

सबसे पहले देश के किस राज्य में Waste-to-energy कचरे से बिजली बनाई गई थी ?

2017- हिमाचल प्रदेश में

भारत के किन किन शहरों में Waste-to-energy कचरे से बिजलीबनाई जाती है ?

हिमाचल प्रदेश के कई शहरों में, भिलाई में, जोधपुर में ,हिमाचल प्रदेश के कई शहरों में सोलापुर में, दिल्ली में , पूणे में

विश्व में सबसे पहले Waste-to-energyकचरे से बिजली कहां बनाई गई थी ?

जापान

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