Wonder Death Just Two Days After Thirteenth- 24
Wonder Death Just Two Days After Thirteenth
खबर है कि दो दिन पहले हंसते हुए खुद का मृत्यु भोज कराने वाले शख्स आज ईश्वर को प्यारा हो गया है और उसकी तेरहवीं में सैकड़ों लोग आए थे।
इस घड़ी में इलाके में उसकी खूब चर्चा हो रही है। ऐसी अनूठी घटना ने लोगों को आश्चर्यचकित किया होगा और उनमें समर्थन और सम्मान की भावना उत्पन्न हो रही होगी।
यह दुखद समाचार है कि उत्तर प्रदेश के एटा में जीते जी, जो अपना क्रिया-कर्म कराने में लगे रहे थे, उनकी मौत हो गई है।

उत्तर प्रदेश के एटानिवासी बुजुर्ग हाकिम सिंह ने 15 जनवरी को ही अपना क्रिया-कर्म करवाया था. जीते जी तेरहवीं और पिंडदान करने के पीछे की वजह बताते हुए हाकिम ने कहा था कि कि परिवार वालों से उसका भरोसा उठ गया है।मरने के बाद वो मेरी तेरहवीं करेंगे या नहीं, इसका पता नहीं. इसलिए जिंदा रहते हुए ही सारी क्रियाएं करा लीं।
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अब इस घटना के तीसरे दिन हाकिम सिंह का निधन हो गया है. लोगों का कहना है कि शायद हाकिम को अपनी मौत का पूर्व आभास हो गया था
सकीट क्षेत्र के ग्राम मुंशीनगर निवासी 70 वर्षीय हाकिम सिंह को अपनों से कोई आस नहीं है। उन्हें नहीं लगता कि मृत्यु के बाद अपने कोई आयोजन कराएंगे। इसे लेकर हाकिम सिंह ने सोमवार को खुद ही अपना तेरहवीं संस्कार और मृत्यु भोज कराया। इस तेरहवी संस्कार और मृत्यु भोज कार्यक्रम में गांव के लोग भी बिना झिझक पहुंचे।
सैकड़ों लोगों ने भोजन प्राप्त किया। ब्राह्मणों को बुलाकर विधि-विधान के साथ हवन-यज्ञ और तेरहवीं संस्कार की सभी रस्में अदा की गईं। हाकिम सिंह ने बताया कि उनके कोई पुत्र-पुत्री नहीं है। परिवार में भाई-भतीजों ने घर और जमीन पर कब्जा कर लिया। वे लोग उनके साथ मारपीट करते हैं। ऐसे में भरोसा नहीं हैं कि मृत्यु होने के बाद वे लोग कुछ करेंगे।
सोमवार सुबह तबीयत बिगड़ी तो मन में आया कि अपने सामने ही पंडितों और परिचितों को मृत्युभोज कराएं। इसमें करीब 700 लोग भोज करने पहुंचे। हाकिम सिंह ने बताया कि कार्यक्रम की व्यवस्था अपनी जमीन बेचकर की है। अपने सामने ही लोगों को मृत्युभोज कराकर अपने मन में कोई बोझ नहीं रखना चाहते। सभी को भोज कराकर बहुत प्रसन्नता हो रही है।
बता दें कि हाकिम सिंह के विवाह के लंबे समय बाद कोई संतान नहीं हुई। इसके बाद उनकी पत्नी भी छोड़कर चली गईं। तबसे वह साधु बाबा के रूप में जीवन बिता रहे हैं
हाकिम सिंह ने बताया कि कार्यक्रम की व्यवस्था अपनी जमीन बेचकर की है। अपने सामने ही लोगों को मृत्युभोज कराकर अपने मन में कोई बोझ नहीं रखना चाहते। सभी को भोज कराकर बहुत प्रसन्नता हो रही है। बता दें कि हाकिम सिंह के विवाह के लंबे समय बाद कोई संतान नहीं हुई। इसके बाद उनकी पत्नी भी छोड़कर चली गईं। तबसे वह साधु बाबा के रूप में जीवन बिता रहे हैं।