Monday, March 17, 2025
सरकारी योजनाएं

Ladki Bahin Yojana Update: 8 लाख महिलाओं को लाडकी बहिन योजना से हटाया 2025

Ladki Bahin Yojana Update

Ladki Bahin Yojana update: महाराष्ट्र सरकार ने इस योजना के तहत मिलने वाली राशि को ₹1500 से बढ़ाकर ₹2100 कर दिया है, जिससे कई महिलाओं को राहत मिलेगी। लेकिन चौंकाने वाले फैसले में 8 लाख महिलाओं को लाभार्थी सूची से बाहर कर दिया गया है, जिससे राज्य की बिगड़ती आर्थिक स्थिति और ₹2 लाख करोड़ के बढ़ते राजकोषीय घाटे को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।

Ladki Bahin Yojana Update

यह फैसला अचानक नहीं लिया गया, बल्कि राजकोषीय घाटे की बढ़ती मार और सरकारी योजनाओं के बढ़ते बोझ को देखते हुए मजबूरी में लिया गया है। सवाल यह है कि क्या महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था हिल चुकी है? और क्या अब अन्य कल्याणकारी योजनाओं पर भी गाज गिरने वाली है? आइए, इस पूरे मुद्दे को विस्तार से समझते हैं।

लाडकी बहिन योजना में बड़ा बदलाव: अब 2100 रुपये, लेकिन 8 लाख महिलाएं बाहर!

महाराष्ट्र सरकार ने ‘लाडकी बहिन योजना’ के तहत मिलने वाली आर्थिक सहायता को ₹1500 से बढ़ाकर ₹2100 कर दिया है, जिससे लाखों महिलाओं को फायदा होगा। लेकिन इस राहत के बीच करीब 8 लाख महिलाओं को योजना से बाहर कर दिया गया है।

सरकार ने यह फैसला क्यों लिया? असल में, राज्य सरकार ने योजना के लाभार्थियों का डेटा अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों से मिलान किया और पाया कि कई महिलाएं एक से अधिक योजनाओं का लाभ उठा रही थीं। इस ‘दोहराव’ को रोकने के लिए ही सरकार ने इन महिलाओं को बाहर किया, जिससे कुल 720 करोड़ रुपये की बचत होगी।

लेकिन सवाल उठता है कि सरकार को यह डेटा मिलान करने में इतना समय क्यों लगा? और क्या यह सिर्फ एक बहाना है, या फिर सरकार पर वाकई में वित्तीय संकट मंडरा रहा है?

महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था पर संकट: ₹2 लाख करोड़ का घाटा!

महाराष्ट्र सरकार का वित्तीय संकट अब किसी से छिपा नहीं है। राज्य का राजकोषीय घाटा 2024-25 में बढ़कर ₹2 लाख करोड़ तक पहुंच गया है। सरकार ने हाल ही में कई नई योजनाओं की घोषणा की थी, जिन पर करीब ₹96,000 करोड़ खर्च होने थे। इनमें शामिल थीं:

  • युवाओं के लिए प्रशिक्षुता योजना
  • कृषि पंपों के लिए मुफ्त बिजली
  • 52 लाख परिवारों को साल में 3 मुफ्त गैस सिलेंडर

मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना भी खतरे में?

बजट की तंगी सिर्फ ‘लाडकी बहिन योजना’ तक सीमित नहीं है। महाराष्ट्र सरकार की मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना जैसी कई योजनाओं को भी संकट का सामना करना पड़ सकता है। वित्त विभाग पहले ही साफ कर चुका है कि राज्य की आर्थिक स्थिति गंभीर है और गैर-जरूरी खर्चों में कटौती जरूरी है।

ऐसे में क्या महाराष्ट्र सरकार आने वाले दिनों में और योजनाओं पर कैंची चलाएगी?

राजनीतिक बवाल: क्या यह महिलाओं के साथ अन्याय है?

सरकार के इस फैसले पर विपक्षी दलों ने तीखा हमला बोला है। विपक्ष का कहना है कि सरकार चुनावी फायदे के लिए योजनाओं की घोषणा तो कर देती है, लेकिन उन्हें सही तरीके से लागू नहीं कर पाती।

कांग्रेस और एनसीपी का आरोप है कि सरकार ने पहले महिलाओं को 1500 रुपये देकर उनके वोट बटोर लिए और अब उन्हें योजना से बाहर कर रही है। वहीं, सत्तारूढ़ दल का कहना है कि यह कदम सिर्फ योजना की पारदर्शिता बनाए रखने और दोहराव को रोकने के लिए उठाया गया है।

क्या महाराष्ट्र की आर्थिक स्थिति और बिगड़ेगी?

2020 में कोविड महामारी के बाद यह पहला मौका है जब राज्य का पूंजीगत व्यय पिछले साल की तुलना में कम हो रहा है।

  • महाराष्ट्र सरकार पहले ही ₹8 लाख करोड़ के कर्ज में डूबी हुई है।
  • अब राजकोषीय घाटा ₹2 लाख करोड़ तक पहुंच चुका है।
  • नई योजनाओं के लिए पैसे नहीं हैं, लेकिन सरकार को राजनीतिक दबाव में कुछ योजनाओं को जारी रखना पड़ रहा है।

इससे साफ है कि आने वाले समय में सरकार को या तो और योजनाओं पर कटौती करनी होगी या फिर राज्य को और ज्यादा कर्ज लेना पड़ेगा।

निष्कर्ष: क्या आम जनता को होगी परेशानी?

महाराष्ट्र सरकार की आर्थिक तंगी अब आम जनता पर असर डालने लगी है।

  • ‘लाडकी बहिन योजना’ से 8 लाख महिलाओं को हटाया गया।
  • मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना समेत कई योजनाएं खतरे में हैं।
  • राजकोषीय घाटा बढ़कर ₹2 लाख करोड़ हो गया है।

अगर यही हालात रहे तो आने वाले महीनों में अन्य कल्याणकारी योजनाओं में भी कटौती देखने को मिल सकती है। क्या सरकार इस संकट से उबर पाएगी? या फिर जनता को और झटके झेलने पड़ेंगे? यह देखना दिलचस्प होगा।

आपकी राय क्या है?

क्या सरकार का यह फैसला सही है? क्या आपको लगता है कि आर्थिक तंगी की वजह से आने वाले दिनों में और योजनाएं बंद हो सकती हैं? अपनी राय नीचे कमेंट में जरूर दें!

अस्वीकरण (Disclaimer):

यह लेख जनहित में सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और इसमें दी गई जानकारी विभिन्न स्रोतों पर आधारित है। इसमें किसी भी सरकारी नीति या योजना में बदलाव को लेकर आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी वित्तीय या सरकारी योजना से संबंधित सटीक जानकारी के लिए आधिकारिक सरकारी पोर्टल या अधिसूचनाओं की जांच करें।

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